दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन के 25 स्टेशनों में दो अक्टूबर से यात्रियों को केवल कुल्हड़ में चाय दी जाएगी। इसके अलावा लस्सी, पानी या नाश्ता देने के लिए मिट्टी के बर्तन का ही उपयोग होगा। भारतीय रेल की ओर से इसकी शुरुआत गांधी जयंती के 150 वर्ष पूरे होने पर की जा रही है। रेलवे बोर्ड से जारी आदेश दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे को भी मिला है। इस आदेश पर अमल करते हुए ही जोन ने बिलासपुर, रायपुर व नागपुर मंडल के 25 स्टेशनों को चिंहित किया है। जहां अब केवल मिट्टी की सोंधी-सोंधी खुशबू के साथ चाय दी जाएगी।
इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा बल्कि स्थानीय कुम्हारों एवं स्थानीय टेराकोटा से जुड़े लोगों के जिंदगी में खुशहाली आएगी। उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। प्लास्टिक बेहद खतरनाक है।
इसका उपयोग पूरी तरह से बंद करने का संकल्प लिया गया है। इस व्यवस्था को लागू करने के लिए सभी रेल मंडल के वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधकों को निर्देश दिए गए हैं। उन्हें इस पर सख्ती से पालन की हिदायत भी दी गई है। अमला इसकी जांच भी करेगा। प्लास्टिक की कोई भी चीजें से खानपान परोसना महंगा भी पड़ सकता है।
यहां होगा उपयोग
बिलासपुर रेल मंडल – बिलासपुर, रायगढ़, चांपा, कोरबा, अंबिकापुर, शहडोल, पेंड्रारोड़, उमरिया, करगीरोड, ब्रजराजनगर व उसलापुर
रायपुर रेल मंडल – रायपुर, दुर्ग, भाटापारा, तिल्दा, बिल्हा व बालोद
नागपुर रेल मंडल – राजनांदगांव, डोंगरगढ़, गोंदिया, भंडारारोड, इतवारी, छिंदवाडा व बालाघाट
लोग इसी तरह आगे आएं तो संवर जाएगा कारोबार
मिट्टी के पात्र का उपयोग करना लगभग समाप्ति की ओर है। गर्मी में आमतौर पर लोग मिट्टी के घड़े ही उपयोग में लाते हैं। घटती मांग से कुम्हारी कार्य से कुम्हार परिवारों का मोहभंग हो रहा है। इस संबंध में कमल प्रजापति का कहना है कि डिस्पोजल की जगह कुल्हड़ का उपयोग किया जाना स्वागतेय कदम है। अन्य कारोबारी, दुकानदार, नागरिक भी इसी तरह का सोंच प्रदर्शित करें तो कुम्हारी कार्य को गति मिलेगी। कुम्हार परिवारों को परंपरागत कार्य छोड़कर अन्य कार्यो में मेहनत मजदूरी करने की नौबत नहीं आएगी।