मध्य प्रदेश हनी ट्रैप कांड में आये दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं। अब जांच कर एसआईटी ने इस बात का दावा किया है कि अफसरों और नेता का फोन टैप करने के लिए एक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता था। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी श्वेता विजय जैन ने बंगलूरू की प्राइवेट कंपनी को फोन टैप करने और सर्विलांस का काम सौंपा था। हालांकि कंपनी के नाम का खुलासा नहीं किया गया है। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब इंदौर नगर निगम के अधीक्षण इंजीनियर हरभजन सिंह की शिकायत पर पुलिस ने 19 सितंबर 2019 को हनी ट्रैप गिरोह का औपचारिक खुलासा किया था। गिरोह की पांच महिलाओं समेत छह सदस्यों को भोपाल और इंदौर से गिरफ्तार किया गया था।
खबर के मुताबिक, बंगलूरू की कंपनी नेताओं और अफसर के फोन टैपिंग के लिए पिगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करती थी। पिगासस सॉफ्टवेयर उस वक्त चर्चा में आ गया था, जब 2016 में एंटी वायरस सॉफ्टवेयर और सिक्योरिटी फर्म ने अपने ब्लॉग पोस्ट में कहा था कि पिगासस एक बहुत ही बड़ा जासूसी सॉफ्टवेयर है। जिसकी मदद से आईफोन-आईपैड से लेकर किसी भी एंड्रॉयड फोन को हैक किया जा सकता है। इसके जरिए 24 घंटे तक नजर रखा जाता है।
लोगों के वीडियो बनाने के लिए लिपिस्टिक एवं चश्मे में लगाये गये थे कैमरे
हनी ट्रैप गिरोह के सदस्य अपने जाल में फंसे धनी और रसूखदार लोगों के साथ अंतरंग पलों का वीडियो बनाने के लिए कैमरे लिपिस्टिक कवर और चश्मों मे छुपाकर रखते थे। पुलिस के मुताबिक, यह गिरोह इन्हीं वीडियो की मदद से धनी एवं रसूखदार लोगों को ब्लैकमेल करता था।
जानें कैसे हुआ मध्य प्रदेश हनी ट्रैप मामले का खुलासा
इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह की शिकायत पर पुलिस ने 19 सितंबर को हनी ट्रैप गिरोह का खुलासा किया था। गिरोह की पांच महिलाओं समेत छह सदस्यों को भोपाल और इंदौर से 18 एवं 19 सितंबर को गिरफ्तार किया गया।
हनी ट्रैप और ब्लैकमेल कर इस इंजीनियर से तीन करोड़ रुपये मांगने के आरोप में पुलिस ने इन्दौर और भोपाल से पांच युवतियों आरती दयाल (29), मोनिका यादव (18) श्वेता जैन (पति विजय जैन) (39), श्वेता जैन (पति स्वप्निल जैन) (48) और बरखा सोनी (34) को भारतीय दंड संहिता की धारा 405/19, 419, 420, 384, 506, 120-बी एवं 34 के तहत गिरफ्तार किया।
इंदौर की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) रूचिवर्धन मिश्र ने बताया कि जांचकर्ताओं को संदेह है कि इस गिरोह ने महिलाओं का इस्तेमाल कर राजनेताओं और नौकरशाहों समेत कई रसूखदारों को भी जाल में फंसाया था और इन लोगों से धन उगाही के अलावा अपनी अलग-अलग अनुचित मांगें जबरन मनवायीं। गिरोह खुफिया कैमरों से अंतरंग पलों के वीडियो बनाकर अपने “शिकार” को इस आपत्तिजनक सामग्री के बूते ब्लैकमेल करता था। इनमें से कई वीडियो क्लिप सोशल मीडिया में वायरल भी हुए हैं।