छत्तसीगढ़ में 15 सालों बाद सत्तासीन होने वाली कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता अब हताश और निराश होते जा रहे हैं. इसकी वजह सरकार बनने के करीब दस महीने बाद भी कार्यकर्ताओं की बारी नहीं आने को माना जा रहा है. दरअसल, सत्ताधारी दल कांग्रेस अपनी जीत का श्रेय भले ही कार्यकर्ताओं को दे, मगर हकीकत ये है कि सरकार बनने के करीब दस महीने बाद भी कार्यकर्ताओं की बारी अब तक नहीं आई है. आगामी दो-चार महीने तक ऐसी कोई उम्मीद भी नहीं है. अब ये बात अलग है कि कांग्रेस ने अपने नेताओं को पहले विधायक बनाया. फिर उन्हीं विधायकों से एक मुख्यमंत्री, बारह मंत्री बने, आधा दर्जन के करीब प्राधिकरणों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाए गए. इतना ही नहीं विधायकों को कई मंडलों में सदस्य भी बनाया गया. लेकिन जब बारी कार्यकर्ताओं की आई तो सत्ताधारी दल के मुखिया भूपेश बघेल ने एक बड़ा बयान दे दिया. सीएम भूपेश बघेल से साफ कह दिया कि नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के बाद ही निगम-मंडलों में नियुक्ति की जाएगी. इस वजह से कार्यकर्ताओं में मायूसी छा गई है. आने वाले दिनों में कार्यकर्ताओं की ये निराशा पार्टी के लिए परेशानी का सबब भी बन सकती है.
नियुक्ति को लेकर सियासय भी
कांग्रेस ने अपनी जीत (Win) का श्रेय कार्यकर्ताओं को दिया था. लेकिन अब पार्टी पर कार्यकर्ताओं की अनदेखी का आरोप लग रहा है. सरकरा ने मंडल गठन-विस्तार करने में, प्राधिकरण में विधायकों की नियुक्ति करने में काफी तेजी दिखाई. तो वहीं कार्यकर्ताओं को निगम-मंडल में जगह देने में पीछे हो गई है.
इस मसले पर कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि हताश और निराश वो ही हो सकता है जो कांग्रेस का सिपाही नहीं है. हमारी सरकार 15 साल नहीं थी, तब हम निराश नहीं हुए तो अब क्या होंगे. मुख्यमंत्री ने साफ कह दिया है कि नगरीय निकाय चुनाव के बाद पार्टी इस ओर गंभीरता से ध्यान देगी. तो वहीं बीजेपी (BJP) प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि कांग्रेस में कलह है. कांग्रेस नेताओं की पार्टी है, लेकिन बीजेपी कार्यकर्ताओं की पार्टी है. कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं के साथ धोखा कर रही है.