स्टार्टअप की शुरुआत के बाद सबसे बड़ी चुनौती फंड जुटाने की रहती है। हालिया अध्ययन में बताया गया है कि जिन स्टार्टअप के संस्थापकों में कम से कम एक महिला शामिल है, उसे सिर्फ पुरुष संस्थापकों वाले स्टार्टअप की तुलना में ज्यादा फंडिंग मिलती है। कॉफमैन फेलो रिसर्च सेंटर ने दो साल तक शोध के बाद निष्कर्ष निकाला कि ऐसी कंपनियां जिनके संस्थापकों में एक महिला शामिल हो, उसे फंड जुटाने में आसानी होती है। ऐसी कंपनियों ने औसतन 2.3 करोड़ डॉलर (1.61 अरब) का निवेश जुटाया है, जबकि सिर्फ पुरुष संस्थापकों वाली कंपनियों को औसतन 1.8 करोड़ डॉलर (1.26 अरब) का निवेश मिला है। अध्ययन के अनुसार, स्टार्टअप की शुरुआत में दोनों तरह की टीमों का कार्य एक जैसा होता है, लेकिन बात जब निवेश जुटाने की आती है तो महिलाओं वाले स्टार्टअप पर निवेशकों का भरोसा ज्यादा रहता है। विश्लेषकों ने इस अध्ययन के लिए 2001 से 2018 के बीच 90 हजार अमेरिकी निवेशक कंपनियों के आंकड़ों का इस्तेमाल किया है।
फिर भी महिलाओं की भागीदारी कम
अध्ययन में बताया गया कि स्टार्टअप के सफल होने की गारंटी के बावजूद भारत में ऐसी कंपनियों की लीड भूमिकाओं में महिलाओं की संख्या काफी कम है। सर्वे के अनुसार, भारत में शुरू हो रहे महज 22 फीसदी स्टार्टअप के संस्थापकों में ही महिलाएं शामिल हैं। भारतीय स्टार्टअप को फंड जुटाना आसान बनाने के लिए सरकार ने हाल में ही एंजल टैक्स में भारी छूट दी थी। उम्मीद है कि आने वाले समय में महिला उद्यमियों की संख्या भी नए स्टार्टअप के संस्थापकों में बढ़ जाएगी।
सिर्फ महिलाएं सफलता की गारंटी नहीं
शोध में बताया गया है कि ऐसे स्टार्टअप जिनके संस्थापकों में सिर्फ महिलाएं शामिल हैं, उन्हें फंड जुटाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले साल कुछ स्टार्टअप को करीब 130 अरब डॉलर की फंडिंग मिली है। इसमें से ऐसे स्टार्टअप जिनके संस्थापक सदस्यों में सिर्फ महिलाएं शामिल हैं, उन्हें महज 2.2 फीसदी की फंडिंग हुई है। कुफमैन फेलो फंड के सह-संस्थापक कोलिन वेस्ट ने कहा कि बेहद कम ऐसी महिला उद्यमी हैं, जिनका ट्रैक रिकॉर्ड सफलता की गारंटी माना जा सकता है।
विविधता से बेहतर होती है वित्तीय स्थिति
वेस्ट ने कहा, शोध ने इस बात पर मुहर लगाई है कि कंपनी लीडरशिप में विविधता होने से उसकी वित्तीय स्थितियों को सुदृढ़ बनाना ज्यादा आसान होता है। ऐसी टीम जिसके सदस्यों में विविधता होती है, उनके आइडिया ज्यादा प्रभावकारी होते हैं। टीम में शामिल सिर्फ एक महिला ही काफी प्रभाव डाल सकती है। शोध बताती है कि अगर कंपनी के कॉन्फ्रेंस रूम में एक भी महिला लीडर को शामिल किया जाता है, तो गुणवत्ता बढ़ जाती है।