Home छत्तीसगढ़ रोज बचाएं 200 रुपये इस तरह मिलेगा 21 लाख का रिटर्न

रोज बचाएं 200 रुपये इस तरह मिलेगा 21 लाख का रिटर्न

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जब भी बच्चों के लिए किसी भी निवेश करने की बात आती है बहुत कम ही लोगों का ध्यान पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) की तरफ जाता है।

दरअसल, आमतौर पर लोगों का यही मानना है कि यह केवल नौकरी पेशा लोगों के लिए ही बेहतर है। लेकिन ऐसा नहीं है पीपीएफ अकाउंट खोलने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं है। वैसे तो यह किसी भी उम्र में खोला जा सकता है।

लेकिन अगर 3 से 4 साल की उम्र के बच्चों के नाम पीपीएफ में निवेश करना शुरू करते हैं तो इसके बहुत से फायदे हैं। नाबालिग उम्र के बच्चे के नाम का पीपीएफ अकाउंट खोलने पर जब वह 18 साल के हो जाते हैं तो खाते का संचालन उन्हें मिल जाता है।

इससे पहले तक अभिभावक ही खाते का संचालक होता है। अगर बच्चे के 2 या 3 साल होने पर ही पीपीएफ अकाउंट खोल दें तो उसे 18 की उम्र पूरी होने या नौकरी के लायक होने पर उसे बड़ी रकम मिल सकती है, जिससे हॉयर एजुकेशन में काफी मदद मिल सकती है।

पीपीएफ में मौजूदा समय में 7.9 फीसदी की दर ब्याज मिल रहा है। इस तिमाही में सरकार ने इसके ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया। जिसके चलते यह निवेशकों की पहली पसंद बन गया है। यह अब बेहतर और सुरक्षित माना जाने लगा है। यह निवेश करने पर आपके एफडी का पैसा डबल हो सकता है।

अगर आप रोज 200 रुपये बचाते हैं तो एक महीने में 6000 रुपये तक जमा कर लेंगे। जो की एक साल में 72 हजार रुपये हो जाएंगे। पीपीएफ अकाउंट में या तो आप 6000 रुपये हर महीने जमा कर सकते हैं या फिर फाइनेंशियल में एक ही बार में 72, 000 रुपये जमा कर सकते हैं।

15 साल के निवेश के बाद पीपीएफ अकाउंट में मौजूदा ब्याज दर 7.9 के हिसाब से रिटर्न मिलने पर यह रकम कंपाउंडिंग की मदद से मेच्योर होकर 21 लाख रुपये हो जाएगा। जबकि आपका कुल निवेश 10।80 लाख ही होगा।

ऐसे में अगर आप 3 साल के बच्चे के नाम पीपीएफ अकाउंट खुलवाते हैं और उसका मेच्योरिटी पीरियड 15 साल है। जब वह 18 साल का होगा, अकाउंट मेच्योर हो जाएगा। उस दौरान वह अकाउंट का संचालन खुद करने लायक हो जाएगा। तब वह अपनी हायर एजुकेशन के लिए या अन्य जरूरत के लिए वह पैसा निकाल सकता है।

इसके अलावा अगर वह उसे आगे बढ़ाना चाहे तो वह आगे 5 साल और खाते को जारी रख सकता है। वहीं, अगर वह 18 साल की उम्र में अकाउंट खुलवाता है तो उसे अगले 15 साल मेच्योरिटी का इंतजार करना पड़ता।