ऑस्ट्रेलिया में एक बड़ा ही अजब-गजब मामला देखने को मिला है। यहां पर प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के ऑफिस से एक भयंकर भूल हुई है। ऑफिस ने कुछ सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स जो गठबंधन सरकार के सांसदों को भेजने थे, उन्हें जर्नलिस्ट्स को भेज दिया गया। अब पीएम को समझ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए। इन डॉक्यूमेंट्स को सांसदों को भेजना था ताकि जब सोमवार को संसद के सत्र की शुरुआत हो तो सांसदों को बहस के लिए तैयार किया जा सके। इन सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स को गलती से जर्नलिस्ट्स को भेज दिया गया जिनमें चीन की न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के जर्नलिस्ट्स भी शामिल थे। देश के हर जर्नलिस्ट्स के पास देखते ही देखते ही यह सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स पहुंच गए थे।विपक्ष के सामने तैयारियों के निर्देश
इन डॉक्यूमेंट्स में कई अहम मुद्दों का जिक्र था जैसे देश में शरण लेने वाले लोगों की संख्या, टैक्स की दर, सीरिया, पेरिस समझौता और यहां तक कि विकीलीक्स के फाउंडर जूलियन असांजे तक के बारे में भी कई अहम बातें थीं। इस ई-मेल के जरिए राजनेताओं को उन मुश्किल सवालों पर रणनीतिक जवाब तैयार करने की का प्रस्ताव दिया गया था जो विपक्ष या फिर मीडिया की तरफ से पूछे जा सकते हैं। 8,200 शब्दों के इस डॉक्यूमेंट में पूछा गया था कि अगर अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की क्लाइमेट चेंज रिपोर्ट जिसमें दावा किया गया है कि ऑस्ट्रेलिया साल 2030 तक अपना लक्ष्य नहीं पूरा कर पाएगा तो सांसदों को इस पर जो जवाब देना होगा वह सकारात्मक होना चाहिए। जवाब में सांसदों से कहा गया था कि वे कहेंगे, ‘हम बिना कार्बन टैक्स लाए हुए ही अपना लक्ष्य पूरा कर लेंगे।’
विपक्ष पर कैसे साधना है निशाना
सांसदों को यह भी बताया गया था कि उन्हें कैसे विपक्षी पार्टी पर निशाना साधना है। जवाब में सांसदों को कहना था, ‘जब लेबर पार्टी सत्ता में थी तो उसने कार्बन टैक्स शुरू किया था, ऊर्जा की कीमतों में तेजी आई थी जिसकी वजह से उद्योगों के बाहर जाने की नौबत आ गई थी।’ एक और डॉक्यूमेंट में पार्टी मेंबर्स को शरण लेने वाले लोगों की वजह से ऑस्ट्रेलिया के नागरिकों के बीच मौजूद डर को कैसे दूर किया जा इसका जिक्र था।
विपक्ष पर कैसे लगाने हैं आरोप
सरकार के मंत्रियों को जो जवाब देने के लिए कहा गया था उसके मुताबिक, ‘लेबर का दावा है कि मजबूरों का शोषण हो रहा है लेकिन वह सरकार में थे तब उन्होंने 20 मिलियन ऑस्ट्रेयिन डॉलर की फंडिंग को कम कर दिया था। स्टाफ में 23 प्रतिशत की कटौती की गई है और साथ ही संवेदनशील वर्कर्स को बचाने के लिए कोई नीति ही नहीं थी।’ अभी तक पीएम मॉरिसन की ओर से इस पर कोई भी टिप्पणी नहीं की गई है। अटॉर्नी जनरल क्रिश्चियन पोर्टर ने हालांकि इस गलती को कोई ज्यादा तवज्जो नहीं दी है। उन्होंने एबीसी रेडियो मंडे मॉर्निंग को बताया है कि इस तरह की घटनाएं आज के दौर की राजनीति के लिए नई नहीं हैं।