अयोध्या के ऐतिहासिक भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई बुधवार को 40वें दिन पूरी हुई जिसके बाद मामले में नया मोड़ आ गया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मध्यस्थता पैनल ने कोर्ट को सूचित किया है कि वह समझौते तक पहुंच चुका है. आपको बता दें कि यह विवाद 2.77 एकड़ की जमीन के बंटवारे को लेकर है. पैनल के अनुसार मुस्लिम पक्ष राम मंदिर के लिए विवादित भूमि पर दावा छोड़ने के लिए तैयार हैं लेकिन उसकी कुछ शर्तें हैं.
सूत्रों के हवाले से अखबार ने लिखा है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्वाणी अखाड़ा, निर्मोही अनी अखाड़े का एक प्रतिनिधि (ये सभी 8 निर्मोही अखाड़े इसके तहत आते हैं), हिंदू महासभा और राम जन्मस्थान पुनरुद्धार समिति ने समझौते पर अपनी सहमति दे दी है. इन्होंने समझौते पर हस्ताक्षर करने का काम भी किया है. इस समझौते के तहत मुस्लिम पक्ष ने राम मंदिर को उचित स्थान देने के बदले कुछ शर्तों का भी उल्लेख किया है.
सूत्रों के अनुसार मुस्लिम पक्ष ने शर्त रखी है कि 1991 के कानून का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए जिसके तहत 15 अगस्त 1947 से जारी व्यवस्था के अनुसार यह जगह सबके लिए प्रार्थना स्थल के तौर पर उपयोग में लाया जाता था. यही नहीं अयोध्या में सभी मस्जिदों की मरम्मत और खासतौर पर दूसरे स्थान पर वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए जगह देने की भी शर्त मुस्लिम पक्ष ने रखी है. हालांकि समझौते के लिए हुई मध्यस्थता में विवादित भूमि के दो बड़े दावेदार शामिल नहीं हुए. पहला वीएचपी समर्थित राम जन्मभूमि न्यास जबकि दूसरा रामलला विराजमान और जमीयत उलेमा…
सूत्रों के अनुसार मुस्लिम पार्टियों ने अपना दावा छोड़ दिया है. यही नहीं उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए सहमति भी दे दी है.