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अलग अलग धर्मो के लोग क्यों करते है अलग अलग रंगों का इस्तेमाल, जानिए इसका राज..

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१ ईसाई धर्म – ईसाई धर्म में सफेद रंग का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है. फिर सफेद रंग को शांति तथा सादगी का रंग माना जाता है और कहा जाता है कि सफेद रंग के प्रयोग से मन में शांति पैदा होती है। यही कारण है कि पूरी दुनिया के अधिकतर चर्च सफेद रंग के होते हैं। खास बात तो यह हैं कि ईसाई धर्म के धार्मिक कार्यों में भी सफेद रंग का ही अधिक प्रयोग किया जाता है तथा शादी में भी सफेद रंग के कपड़ों का अधिक प्रयोग किया जाता है।

२ हिंदू धर्म – हिंदू धर्म में प्राचीन काल से ही केसरिया रंग का प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है और इसे हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा पवित्र भी माना गया है। हिंदू धर्म में इस रंग का उपयोग सबसे ज्यादा सन्यासी करते हैं और किसी भी शुभ कार्य पर इस रंग का प्रयोग किया जाता है। असल में इस रंग का संबंध अग्नि से है और इस रंग का प्रयोग करने से मन में ऊर्जा का संचार होता है, इसलिए हिंदू धर्म में इसका सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है।

३ सिख धर्म – सिख धर्म में भी केसरिया रंग को ही प्रमुख और पवित्र रंग माना जाता है। गुरू गोविंद सिंह जी ने सिक्ख धर्म के लोगों को देश तथा धर्म के लिए बलिदान देने का संदेश दिया था और यह केसरिया रंग उसी बलिदान संदेश का प्रतीक प्रतिनिधि है। आपकी जानकारी के लिए हम बता दें कि बौद्ध धर्म में भी केसरिया रंग को विशेष महत्व दिया जाता है। यहां बौद्ध धर्म में केसरिया रंग को आत्म त्याग तथा बंधन से मुक्त करने वाले रंग के प्रतीक रूप में माना जाता है। इस कारण ही बौद्ध धर्म के सन्यासी भी केसरिया रंग को ही धारण करते हैं।

४ इस्लाम धर्म – इस्लाम में हरे रंग को सबसे ज्यादा तरजीह दी जाती है और बहुत से इस्लामिक धार्मिक स्थानों पर भी हरे रंग का ही सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है और इसके अलावा इस्लाम में हरे रंग के झंडे को भी पवित्र माना जाता है। माना यह जाता है कि हरा रंग शांति, समृद्धि तथा खुशहाली का रंग है और इसके प्रयोग से जीवन में खुशी आती है।