अर्थशास्त्र में इस साल का नोबल पुरस्कार पाने वाले सह-विजेता भारतीय अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी का मानना है कि वैश्विक गरीबी से निपटने के लिए प्रयोग आधारित नजरिया अपनाना होगा। अर्थशास्त्र का नोबल देने वाली संस्था रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के अनुसार इस नजरिये ने डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स को बदल दिया है। मेसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी ने भारत सरकार की गरीबों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की तारीफ की है और उन्होंने कारोबारियों को टैक्स कटौती का लाभ न दिए जाने की बात कही है।
बनर्जी ने कहा है कि कारोबारियों पर उच्च कर लगाने से सरकार को कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च करने के लिए अधिक धन मिल सकता है। ऐसा कर सरकार किसानों के लिए आर्थिक मदद प्रदान कर सकती है और मध्यम अवधि में अपने राजकोषीय घाटे को कम कर सकती है।
अंग्रेजी बिजनेस अखबार मिंट को दिए एक साक्षात्कार में अभिजीत बनर्जी ने मोदी सरकार की उन नीतियों की सराहना की है, जो गरीबों पर केंद्रित हैं। उनका मानना है कि कारोबारियों पर ज्यादा टैक्स लगाकर उससे गरीबों के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं के लिए धन जुटाने में मदद मिल सकती है।
नोबेल पुरस्कार विजेता और विख्यात अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने मोदी सरकार की जनधन, उज्जवला, आयुष्मान भारज योजना के साथ ही साथ दूसरी आम लोगों से जुड़ी योजनाओं की प्रशंसा की है। अभिजीत बनर्जी ने कहा कि आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं आम लोगों का जीवन बचाएंगी और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होंगी। जनधन योजना से आम लोग बचत कर पाने में सक्षम होंगे।
बनर्जी ने आधार कार्ड को बैंक और रसोई गैस पर मिलने वाली सब्सिडी से जोड़ने की भी तारीफ की। कांग्रेस की न्याय योजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना का डिजाइन ठीक नहीं है। उन्होंने कांग्रेस को इससे जुड़े कुछ आंकड़े दिए थे बाकि उनकी कोई भूमिका नहीं थी।
बनर्जी ने कहा कि मैं कुछ खास वजह से आरसीटी से सहमत नहीं हूं। मैं लॉन्ग टर्म ससटेनेबल ग्रोथ के बारे में नहीं जानता हूं और न ही मैं गरीबों के लिए राजनीतिक तंत्र को बदलना जानता हूं। मैं केवल लोगों के लिए कुछ उपयोगी काम करना चाहता हूं।