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छत्तीसगढ़ : धान की खड़ी फसल को रौंद रहे जंगली हाथी दल, किसान परेशान

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 छत्तीसगढ़ में मौसम की मार झेल रहे किसानों पर जंगली हाथियों के आतंक ने जख्म पर नमक छिड़कने का काम किया है। राज्य में सक्रिय कई हाथी दल अलग-अलग हिस्सों में स्वतंत्र विचरण कर रहे हैं और खेतों में किसानों की खड़ी फसल को रौंध कर तबाह कर रहे हैं। सोमवार की रात बिलासपुर संभाग के पेंड्रा मझगांव जंगल से निकल कर हाथियों का एक बड़ा दल मरवाही वन मंडल के अमारू जंगल से लगे खेतों में पहुंच गया। हाथियों ने यहां जमकर उत्पात मचाया और एक बड़े रकबे में लगी किसानों की धान की खड़ी फसल को रौंध कर चौपट कर दिया। राजधानी रायपुर से सटे आरंग क्षेत्र के गांव में भी हाथियों का एक बड़ा दल विचरण कर रहा है जिसने यहां किसानों के रातों की नींद उड़ा दी है।

पिछले तीन दिनों तक हुई असमय बारिश की वजह से किसान वैसे ही बेहद परेशान हैं। खेतों में काटने के लिए तैयार हो चुकी अर्ली वेरायटी धान की फसल को बारिश की वजह से काफी नुकसान पहुंचा है और अब राज्य में जगह-जगह हाथी फसलों को रौंध रहे हैं।

रायपुर, महासमुंद, बिलासपुर, सरगुजा, जशपुर, कोरिया, कोरबा, धमतरी सहित राज्य के कई जिले हाथियों के स्वतंत्र विचरण करने की समस्या से परेशान हैं। हाथी दल जंगलों को छोड़कर गांवों की सीमा के अंदर प्रवेश कर जाते हैं और जान माल का नुकसान पहुंचाते हैं। हाथियों के हमले से ग्रामीणों के घर टूटते हैं, फसल चौपट होती है और उनकी जान भी चली जाती है।

छत्तीसगढ़ में हाथी और मानव द्वंद को लेकर भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून शोध करने जा रहा है। यह रिसर्च तीन साल तक चलेगी। यह दल शोध आधारित क्षमता विकास का कार्य भी करेगा। मानव हाथी द्वंद्व को लेकर अंतरराज्यीय पहल के लिए राज्य सरकार एमओयू करने जा रही है।

इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया गया है। इसके तहत तिमोर पिंगला अभयारण्य में हाथियों के पेयजल के लिए 16 एनीकट, 11 स्टॉप डैम और 475 हेक्टेयर में चारागाह विकास कार्य कराया गया है। छत्तीसगढ़ में हाथी-मानव द्वंद्व में आदिवासियों की जान जा रही है।

हाथियों के आंतक को रोकने के लिए सरकार की ओर से चलित हाथी दस्ता बनाया गया है। जंगली हाथियों को रेडियो कॉलर पर सेटेलाइट के माध्यम से निगरानी की जा रही है। कर्मचारियों की गश्त भी लगाई जा रही है। गांवों में नु-ड़ नाटक, रैली और कार्यशाला के माध्यम से भी जागरूकता की जा रही है।