अस्सी साल के बनारसी लाल चावला अपनी बेटी कल्पना चावला की याद में खोए हुए हैं। वह उस दिन को याद कर रहे हैं जब उन्होंने बेटी की अस्थियों को अमेरिका के सिय्योन नेशनल पार्क की पहाड़ियों में फैलाया था। तभी एकाएक, उन्हें एक अमेरिकी महिला दिखी, जो कल्पना चावला की मौत से दुखी होकर रो रही थी। बता दें कि भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला के अंतरिक्ष यान में अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लौटते समय कोलंबिया में विस्फोट हो गया था।
कल्पना के पिता बनारसी लाल चावला ने बताया कि जब कल्पना को नासा के लिए चुना गया था तो उसने कहा था कि वह एक दिन बाहरी अंतरिक्ष में अगवा कर ली जाएगी। उन्होंने कहा कि कल्पना के लिए करनाल से लेकर कैलिफॉर्निया तक लोगों में प्यार था और उसकी मृत्यु के बाद मुझे उसके जीवन के कई पहलुओं के बारे में पता चला। जिन्होंने लोगों को प्रेरित किया। कल्पना सिर्फ मेरी बेटी नहीं थी, वह भारत और अमेरिका की भी बेटी थी।
दरअसल, यह सभी बातें कल्पना चावला और उनके माता-पिता के साक्षात्कारों पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री का हिस्सा हैं। नेट जियो के अधिकारियों के मुताबिक 45 मिनट की यह डॉक्यूमेंट्री हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में बनाई गई है।
नेशनल जियोग्राफिक ने इसे अपने कार्यक्रम ‘मेगा आइकन’ टीवी सीरीज के लिए बनाया है। अधिकारियों ने बताया कि इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग गुरुवार को मुंबई में एक समारोह में की गई।
बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करेगी डॉक्यूमेंट्री बनारसी चावला ने कहा कि मैं चाहता हूं कि पूरी दुनिया कल्पना के किए गए कार्यों से लाभान्वित हो। कल्पना ने अपनी पूरी जिंदगी में करनाल स्थित टैगोर बाल निकेतन विद्यालय से लेकर कॉलेज और विश्वद्यालय तक जहां कहीं भी भाषण दिए, उनसे लोगों को प्रेरणा मिली। उन्होंने कहा कि यह डॉक्यूमेंट्री भी आने वाली पीढ़ियों को बड़ा सपना देखने के लिए प्रेरित करेगी।
बता दें कि चावला अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली भारतीय मूल की पहली महिला थीं। इस डॉक्यूमेंट्री में कल्पना का वह साक्षात्कार भी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके निधन के बाद उनकी राख या तो हिमालय या फिर उटाह के सिय्योन नेशनल पार्क में बिखेर दी जाए।
कल्पना का जन्म साल 1962 में करनाल में हुआ था। वह साल 2003 में दुर्घटनाग्रस्त हुए अंतरिक्ष यान के चालक दल के सात सदस्यों में से एक थीं। उनका अंतरिक्ष कोलंबिया के आसमान में पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
बेटी के लौटने का इंतजार कर रहा था: बनारसी लाल चावला बनारसी लाल चावला ने एक साक्षात्कार में पीटीआई को बताया कि मैं ह्यूस्टन में था और घर पर अपनी बेटी के अंतरिक्ष अभियान से लौटने की प्रतीक्षा कर रहा था। लेकिन इसके बजाय मुझे पता चला कि मैंने अपनी प्यारी बेटी खो दी है।
वह बचपन से ही विमानों से मोहित थी। वह हमेशा सितारों और उनसे जुड़ा किसी न किसी तरह का सपना देखती थी। उन्होंने बताया कि मुझे लगता है कि वह उस दिन सितारों में ही खो गई।
पिता बनारसी लाल ने कहा कि कल्पना का उड़ने वाली वस्तुओं के प्रति आकर्षण तब शुरू हुआ, जब वह सिर्फ तीन साल की थी और उसने घर की छत से एक विमान को जाते हुए देखा था।
उन्होंने बताया कि उसने करीब से एक विमान देखा और फिर विमान को पास से देखने की जिद की। उस समय हमारे घर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर करनाल फ्लाइंग क्लब था, इसलिए मैंने वहां एक वरिष्ठ अधिकारी से संपर्क किया, जिनसे मैं कुछ महीने पहले ही मिला था। मैंने उन्हें अपनी बात बताई, जिसके बाद उन्होंने हमें क्लब का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया।
साइकिल पर आगे कल्पना बैठी थी उन्होंने याद करते हुए बताया कि मैं अपने घर से साइकिल लेकर निकला और साइकिल पर आगे कल्पना बैठी थी, साथ ही मेरा बेटा पीछे बैठा था। हमने क्लब की तरफ जाना शुरू किय। इससे पहले कि मैं अपनी साइकिल पार्क करता, तब तक कल्पना उस विमान की तरफ दौड़ चुकी थी जिसे उसने देखा था।
उन्होंने बताया कि वह विमान को देखकर उसके चक्कर काटने लगी और अधिकारी से उत्सुकता से पूछा कि यह कैसे उड़ता है? यह कैसे काम करता है? बनारसी चावला ने बताया कि कप्तान ने उसके बाद उन्हें, उनके बेटे और कल्पना को विमान में बैठाया और करनाल का चक्कर लगाया। उन्होंने बताया कि मैं कल्पना के चेहरे की खुशी अभी तक नहीं भूल पाया हूं जो उसने उड़ने के दौरान महसूस की थी।
मैं अंतरिक्ष में अगवा कर ली जाऊंगी बनारसी चावला ने कहा उस दिन मुझे पता चल गया था कि वह उड़ने और तारों के बीच रहने के लिए पैदा हुई थी। सितारे उसके साथी थे। वास्तव में अंतरिक्ष से उसे इतना लगाव था कि नासा के लिए चुने जाने के बाद उसने कहा भी था वह एक दिन बाहरी अंतरिक्ष में अगवा कर ली जाएगी।
बता दें कि बनारसी चावला हाल ही में एक दुर्घटना का शिकार हो गए थे। इससे उनकी रीढ़ और बांहों में चोटें आई थीं। हालांकि उनका कहना है कि उनका अपनी बेटी के बारे में बात करना ही उन्हें फिट रखता है।