अब योगासन के फायदे किसी से छिपे नहीं है, लेकिन एक सवाल कई बार उठा कि क्या प्राचीन स्वास्थ्य पद्धति से हार्ट को भी सेहतमंद रखा जा सकता है और यदि हाँ तो कौन-कौन से योगासन किए जाने चाहिए? इसका उत्तर तलाशने के लिए 2014 में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल ने शोध किया और विभिन्न परीक्षणों तथा अध्ययनों से डेटा जुटाकर समीक्षा की। इन शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग किसी भी तरह का व्यायाम नहीं करते हैं, उनकी तुलना में योगासन करने वाले स्वस्थरहते हैं। इन योग करने वालों का बॉडी मास इंडेक्स, लोअर सिस्टोलिक ब्लडप्रेशर, लोअर डायस्टोलिक ब्लडप्रेशर और लोअर कोलेस्ट्रॉल स्तर नियंत्रित रहता है। यही नहीं, हाल ही में ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन ने भी कहा है कि जिन लोगों को हार्ट संबंधी बीमारियां हैं, उनके लिए योग फायदेमंद है। इसका कारण यह बताया गया है कि नियमित योग करने से तनाव घटता है और डिप्रेशन का कम होना कार्डिअक सर्जरी करवा चुके मरीजों के लिए फायदेमंद है।
– सबसे पहले ताड़ासन की मुद्रा में खड़े हो जाएं और श्वास अंदर लें। पैरों के बीच 3 से 4 फीट की दूरी रखें।
– दाहिने पैर को बाहर और बाएं पैर को थोड़ा अंदर की ओर मोड़ें।
– हाथों को कमर पर रखें और कूल्हे से झुकें। धड़ को मोड़ने या कूल्हे को पीछे किए बिना दाहिने कूल्हे को अपने दाहिने पैर के करीब लाने की कोशिश करें।
– इतना करने के बाद अपने दाहिने हाथ को फर्श की तरफ लाएं और बाएं हाथ को छत की तरफ उठाएं।
– सीधे आगे देखें। यदि आप कर सकते हैं तो छत की ओर देखने के लिए अपना सिर घुमाएं।
– कम से कम 30 सेकंड तक इस मुद्रा में रहें। पूरे पोज में अपनी छाती को खोलने की कोशिश करें।
– शुरुआती स्थिति पर लौटें। दूसरी तरफ दोहराने से पहले कुछ सेकंड के लिए आराम करें।
– चटाई पर बैठ जाएं और पैरों को सामने फैला लें।
– दोनो हाथों को ऊपर उठाएं। उंगलियां छत की ओर रखें।
– सिर को घुटनों के करीब लाने के लिए कमर झुकाएं।
– हाथों से पंजों को पकड़ने की कोशिश करें। यदि यह संभव नहीं है तो अपने टखनों या पिंडलियों को पकड़ें।
– ऊपरी शरीर रिलेक्स रखें और सांस लेते हुए पैरों के खिंचाव को महसूस करें।
– कम से कम 30 सेकंड के लिए इस मुद्रा में रहें, फिर धीरे-धीरे हाथों को ऊपर ले जाएं।
– सामान्य स्थिति में आएं और कुछ सेकंड आराम करने के बाद दोहराएं।
अर्धमत्स्येन्द्रासन
– चटाई पर बैठें और घुटनों को मोड़ें। दाएं घुटने को चटाई पर रखें और दाएं पैर को अपने बाएं कूल्हे के करीब लाएं।
– अपने बाएं टखने को दाहिने घुटने के पास लाने की कोशिश करें।
– यह सुनिश्चित करते हुए कि कूल्हे चटाई पर ही टिक रहें, बाएं हाथ को ऊपर की ओर उठाएं। अब, इसे वापस लें और अपने हाथ को अपने कूल्हे के पीछे चटाई पर रखें।
– दाहिने हाथ को उपर उठाएं। अब, इसे बाईं बाहरी जांघ पर कम करें क्योंकि आप बाईं ओर का सामना करते हैं।
– यदि आप कर सकते हैं, तो अपने पीछे देखने के लिए अपनी गर्दन को घुमाएं।
– इस मुद्रा को 1 मिनट तक रखें।
– प्रारंभिक स्थिति पर लौटें और दूसरी तरफ दोहराएं।
– दोनों पैरों को सामने सीधे एड़ी-पंजों को मिलाकर बैठ जाऐं। हाथ कमर से सटे हुए और हथेलियां भूमि टिकी हुई। नजर सामने।
– बाएं पैर को मोड़कर एड़ी को दाएं नितम्ब के पास रखें। दाहिने पैर को मोड़कर बाएं पैर के ऊपर एक दूसरे से स्पर्श करते हुए रखें। इस स्थिति में दोनों जांघें एक-दूसरे के ऊपर राखी जाएगी जो त्रिकोणाकार नजर आएंगी।
– सांस लेते हुए दाहिने हाथ को ऊपर उठाकर दाहिने कंधे को ऊपर खींचते हुए हाथ को पीछे पीठ की ओर ले जाएं तब बाएं हाथ को पेट के पास से पीठ के पीछे से लेकर दाहिने हाथ के पंजें को पकड़े। गर्दन व कमर सीधी रखें।
– अब एक ओर से लगभग एक मिनट तक करने के पश्चात दूसरी ओर से इसी प्रकार करें। जब तक इस स्टेप में आराम से रहा जा सकता है तब तक रहें।
– पीठ के बल लेट जाएं, सामान्य गति से सांस लेते रहें।
– हाथों को बगल में रखें और धीरे-धीरे अपने पैरों को घुटनों से मोड़कर हिप्स के पास ले आएं।
– हिप्स को जितना हो सके फर्श से ऊपर की तरफ उठाएं। हाथ जमीन पर ही रहेंगे।
– कुछ देर के लिए सांस को रोककर रखें।
– इसके बाद सांस छोड़ते हुए वापस जमीन पर आएं। पैरों को सीधा करें और विश्राम करें।
– 10-15 सेकेंड तक आराम करने के बाद फिर से शुरू करें।