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नया शोध: एलियंस को भूल जाइए; इस विशाल अंतरिक्ष में हम अकेले हैं

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फ़िल्में देखकर अगर आपको एलियंस के अस्तित्व पर यक़ीन हो गया है तो आपके लिए बुरी ख़बर है. वैज्ञानिकों ने इस विशाल अंतरिक्ष में अब तक जहां भी जीवन तलाशने की कोशिश की, उन्हें असफलता हाथ लगी. हालांकि ये तलाश अब भी जारी है, लेकिन ब्रिटेन के एक शीर्ष वैज्ञानिक ने एलियंस के अस्तित्व को गल्प करार दिया है. इवोल्यूशनरी बायोलॉजी पर शोध करने वाले वैज्ञानिक निक लॉन्ग्रिच के मुताबिक़ इस अंतरिक्ष में पृथ्वी के अलावा और कहीं भी जीवन नहीं है. ये कोई हवाई दावा नहीं है, बल्कि वर्षों की मेहनत के बाद वो इस नतीजे पर पहुंचे कि फ़िलहाल अंतरिक्ष के किसी भी कोने में कहीं भी किसी भी दूसरे जीव के होने की गुंजाइश नहीं है.

द कंजर्वेशन में लिखे गए शोध लेख में उन्होंने इवॉल्यूशन का इतिहास समझाते हुए कहा है चेताया है कि ब्रह्मांड में कहीं भी कुछ नहीं है. आम तौर पर फ़िल्मों में ये दिखाया गया है कि एलियंस हमसे ज़्यादा एडवांस और ज़्यादा बुद्धिमान होते हैं, लेकिन लॉन्ग्रिच के मुताबिक़ इवॉल्यूशन का इतिहास बताता है कि कोशिका, जटिक कोशिका और छोटे जीव से जटिल जानवर बनने की जो प्रक्रिया होती है, वो कहीं और मुमकिन नहीं दिखता.

वे लिखते हैं, “हमारा इवोल्यूशन एक तरह की लॉटरी है. ऐसा कहीं और नहीं हुआ है. अंतरिक्ष बहुत विशाल है. सिर्फ़ हमारी गैलेक्सी मिल्की वे में 100 अरब से ज़्यादा तारे हैं और इस तरह की खरबों गैलेक्सी अंतरिक्ष के उस हिस्से में मौजूद हैं जिन्हें हम अब तक देख पाए हैं. जितने तारे हैं उतने या फिर उनसे भी ज़्यादा ग्रह अंतरिक्ष में मौजूद हैं. ऐसे में लोग अनुमान लगाते हैं कि हो सकता है कि कहीं पर पृथ्वी की तरह या इससे उन्नत जीवन हो. लेकिन, अब तक इसका कोई सबूत नहीं मिला है.”

उन्होंने कहा है कि पृथ्वी के 4.5 अरब साल पुराने इतिहास को खंगालने के बाद अब तक हम इसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं कि इवोल्यूशन क्या ख़ुद को दोहराता भी है या नहीं. ऐसे में अंतरिक्ष के बाक़ी पिंडों के बारे में फ़िलहाल अटकलें लगाना वाजिब नहीं है. निक लॉन्ग्रिच के मुताबिक़, “मनुष्य बनने की प्रक्रिया बेहद जटिल रही है. अगर मछली नहीं होती तो हम नहीं होते. अगर मछलियों में हड्डियां नहीं बनती और वो ज़मीन पर नहीं रेंगती तो हमारी भी हडिड्यां नहीं होतीं. हड्डी तब तक मौजूदा शक्ल में विकसित नहीं हुई जब तक जटिल जानवरों का निर्माण नहीं हुआ. जटिल जानवरों के लिए जटिल कोशिकाओं की दरकार होती है और इसके लिए ज़रूरी होता है ऑक्सीजन और पॉलीसिंथेसिस.

वे बताते हैं कि जीवन एक बार ही पनपता है और एक जीव से दूसरे जीव का विकास होता रहता है. इसमें काफी वक्त लगता है. उन्होंने कहा, “पृथ्वी बनने के 1.5 अरब साल बाद पॉलिसिंथेसिस की प्रक्रिया शुरू हुई. 2.7 अरब साल बाद जटिल कोशिकाओं का निर्माण हुआ. 4 अरब साल बाद जटिल जानवर पैदा हुए और 4.5 अरब साल बाद मनुष्य बनने की प्रक्रिया शुरू हुई. उन्होंने दावा किया है कि अगर किसी ग्रह पर जीवन की संभावना भी पनप रही है तो एलियंस जैसा कुछ बनने में अरबों साल लग जाएंगे.