केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) की आठ सदस्यीय टीम मंगलवार को सिम्स पहुंची। टीम ने जिले में टीबी के फैलाव, उनके उपचार व चिकित्सा सुविधा के संबंध में जानकारी ली। टीम ने शामिल विशेषज्ञों ने बताया कि 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य पर काम चल रहा है। इसके लिए वास्तविक आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। टीम ने सिम्स में सबसे पहले टीबी वार्ड का निरीक्षण किया। इस दौरान कई खामियां नजर आईं। उन्होंने वार्ड में कुछ बदलाव करने के लिए कहा। इसके बाद जिले के टीबी मरीजों के आंकड़े की जानकारी ली। उन्हें बताया गया कि मौजूदा स्थिति में जिले कुल 2994 टीबी मरीज हैं। टीम के सदस्यों ने उपचार में आने वाली परेशानियों के बारे में पूछा।
इस पर सिम्स के डॉक्टरों ने बताया कि टीबी के मरीजों द्वारा कोर्स के बीच दवा छोड़ने से इलाज में कठिनाई होती है। सिम्स से जुटाए गए आंकड़ों से केंद्र सरकार और डब्ल्यूएचओ को अवगत कराया गया। पूरे देश से मिली रिपोर्ट के अनुसार 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए प्रयास किया जाएगा। टीम में डॉ. रिचर्ड, डॉ. सुदर्शन मंडल, ब्रूस थामस, मरियम जोर्सलेन, डॉ. पंकज डी. हिमावत, डॉ. तारक शाह, डॉ. मनु डी. मैथ्यू, डॉ. क्षितिज खापर शामिल थे।
16 तक करेंगे जिले का दौरा
आठ सदस्यीय टीम 16 नवंबर तक जिले के क्षय रोग निवारण केंद्र की सीबी नॉट लैब, डीआर टीबी सेंटर, टीबी यूनिट, डीएमसी डिजीटल माइक्रोस्कॉपी सेंटर, डिजीटल माइक्रोस्कॉपी सेंटर, पीएचसी और सीएचसी की जांच करेगी। इनमें टीबी रोगियों को मिल रही चिकित्सा सुविधा का आकलन किया जाएगा। इसके अलावा कोटा, मरवाही, मस्तूरी, बिल्हा, तखतपुर समेत सभी विकासखंडों में जाकर टीबी रोग व उनके मरीजों की वास्तविकता जानने की कोशिश करेगी।
2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य है। इसको लेकर आठ सदस्यीय टीम पहुंची है, जो 16 नवंबर तक जिले में टीबी के मरीजों, इलाज के संसाधन आदि का जायजा लेगी। कमी मिलने पर उसे दूर करने की व्यवस्था बनाई जाएगी। डॉ. प्रमोद महाजन, सीएमएचओ