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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण में सरकार के सामने ये है सबसे बड़ी चुनौती

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 दशकों से चला आ रहा अयोध्या विवाद आखिरकार 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के साथ ही खत्म हो गया है। कोर्ट ने इस विवाद पर बड़ा फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल को राम मंदिर निर्माण के लिए देने का फैसला सुनाया। साथ ही कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या के किसी अहम जगह पर पांच एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया। हालांकि कोर्ट ने मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया है। लेकिन इन सबके बावजूद एक बड़ी समस्या है यह कि मंदिर निर्माण के लिए लोग जो चंदा दे रहे हैं वह किसी एक ट्रस्ट में कैसे लाया जाए यह सबसे बड़ी चुनौती है।

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कई समिति, एनजीओ, संगठन ले रहे चंदा

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि आखिर किस एक एनजीओ, समिति, ट्रस्ट, अखाड़ा को चिन्हित किया जाए जिसे लोग मंदिर निर्माण के लिए अपना चंदा दे सके। पिछले कई वर्षों से ये तमाम संगठन मंदिर निर्माण के लिए चंदा इकट्ठा करते आ रहे हैं। लिहाजा सरकार के लिए किसी एक संस्था को आधिकारिक रूप से चंदा इकट्ठा करने की जिम्मेदारी देना सबसे मुश्किल काम नजर आ रहा है।

Tough challenge
मुश्किल चुनौती

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया जाए। ऐसे में सरकार के सामने सबसे बडी चुनौती और प्राथमिकता यही है कि वह कैसे सिर्फ एक ही ट्रस्ट में तमाम चंदे की राशि को इकट्ठा करे। अयोध्या के तमाम अहम साधू और महंतों के अनुसार यह आसान काम नहीं है। इसकी बड़ी वजह यह है कि इन तमाम संगठनों के पास पिछले कई सालों में इकट्ठा किए गए चंदे का कोई हिसाब नहीं है। यहां तक कि कई मौजूदा ट्रस्ट पर मंदिर निर्माण के नाम पर ली गई राशि का गलत उपयोग करने का भी आरोप है।

Misuse of funds
करोड़ो की हेराफेरी

मंदिर निर्माण के लिए सबसे बड़ा ट्रस्ट राम जन्मभूमि न्यास है जिसके मुखिया नृत्य गोपाल दास हैं, उनपर भी चंदे की राशि का गलत इस्तेमाल करने का आरोप है। राम लला मंदिर के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास का दावा है कि 18 करोड़ रुपए रामजन्मभूमि न्यास ट्रस्ट से ट्रांसफर किए गए, लेकिन इसका कोई हिसाब नहीं है कि यह पैसा कहां गया। एक सूत्र ने भी इस दावे की पुष्टि की है।

Many under suspicion
खूब धन उगाही हो रही है

सूत्रों का कहना है कि कोई भी प्रशासन को चंदे की राशि नहीं देता है। सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि तकरीबन दो दर्जन ट्रस्ट, एनजीओ ऐसे हैं जो अयोध्या में आने वाले श्रद्धालुओं से मंदिर निर्माण के नाम पर चंदा इकट्ठा करते हैं, लेकिन उनके खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई आजतक नहीं की गई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ये तमाम संगठन देशभर में लोगों की भावनाओं को भुनाकर राम मंदिर निर्माण के नाम पर चंदा इकट्ठा कर रहे हैं।