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दाह संस्कार जल्दी करने को क्यों कहते हैं लोग, इसके पीछे की वजह उड़ा देगी होश…

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इस दुनिया में जो कोई भी जन्‍म लिया है उसे एक न एक दिन जाना ही पड़ता है। अगर व्‍यक्ति को जिंदगी मिली है तो उसका खत्‍म होना भी निश्चित ही है। एक समय पूरा होने पर उसे जाना ही पड़ता है। ये सबकुछ जानते हुए भी लोग हमेशा लंबी उम्र की कामना करते हैं। कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि कुछ लोगों ने तो भगवान से अपने अमर होने की मन्‍नत मांग ली वहीं वो अमर नहीं तो मरने से पहले वे सभी कार्य तथा इच्छाओं को पूर्ण करना चाहते हैं। लेकिन ये भी आप नहीं भूल सकते की जीवन और मरण इस दुनिया का कड़वा सच है जिसे न चाहकर भी अपनाना पड़ता है।

वहीं अगर हिन्दू धर्म की बात करें तो शास्‍त्रों में बताया गया है की आत्मा कभी नहीं मरती वह एक शरीर में प्रवेश करती है तथा उसे छोड़ने के बाद दूसरे शरीर में जाने का इंतजार करती है।लेकिन उस आत्मा द्वारा शरीर छोड़े जाने के बाद धार्मिक रूप से कुछ संस्कार करना बेहद आवश्यक है। वहीं ये भी बताया गया है कि अगर व्‍यक्त्‍िा की मौत हो जाती है तो जल्‍द से जल्‍द उसकी लाश जला देनी चाहिए। पर क्‍या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों किया जाता है?

क्यों लोग इस काम में ज्यादा विलंब नहीं करना चाहते? इसके पीछे कोई कुछ न कुछ तो वजह जरूर होगा। तो आपको आज हम बताने वाले हैं ऐसा करने के पीछे क्‍या कारण है? आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि मौत के बाद लोगों को लाश जलाने की जल्दी क्यों रहती है और अंतिम संस्कार के असल मायने क्या हैं? दरअसल गरुड़ पुराण में लिखा है कि जब तक गांव या मोहल्ले में किसी की लाश पड़ी होती है तब तक घरों में पूजा नहीं होती। इतना ही नहीं ये भी कहा गया है कि उस समय तक किसी घरों में चूल्हा भी नहीं जला सकते। यानि इस समय में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जा सकता और इतना ही नहीं शव रहने तक व्यक्ति स्नान भी नहीं कर सकता।

जब तक मृतक का शरीर रहता है लोगों के ज़रूरी काम रुके रहते हैं। यही कारण है कि लोग जल्दी से जल्दी अंतिम संस्कार करने की फिराक में रहते हैं। जब तक अंतिम संस्कार नहीं होता लोग मृतक शरीर की देखभाल करते हैं क्योंकि यदि कोई जानवर शरीर को छू ले तो उसकी दुर्गति होती है। अंतिम संस्कार करने के पीछे एक कारण ये बताया गया है कि ऐसा करने से मरने वाले और घरवालों, दोनों को फायदा होता है। दुष्ट या पापी व्यक्ति का ढंग से अंतिम संस्कार कर देने पर उसकी दुर्गति नहीं होती मरने के बाद उसकी आत्मा चैन से रहती है।

जलाने से पूर्व घर और रास्ते में पिंड दान करने से देवता-पिशाच खुश हो जाते हैं और लाश अग्नि में समा जाने के लिए पूरे तरीके से तैयार हो जाती है। जलाते वक़्त लाश के हाथ-पैर बांध दिए जाते हैं ऐसा करने के पीछे कारण होता है कि व्‍यक्ति के शरीर पर पिशाच कब्ज़ा न कर पाये।