भारत का सर्वोच्च विधान भारतीय संविधान है। संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ। 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। 26 नवम्बर को भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया है। जबकि 26 जनवरी का दिन भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। भारतीय संविधान के एक विधान के जरिए ही लंबे अर्से से विवाद की वजह बने अनुच्छेद 370 को हटाया जा सका। अब जानिए क्या था अनुच्छेद 370। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करता था। अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान का एक विशेष अनुच्छेद था। जम्मू-कश्मीर को भारत में अन्य राज्यों के मुकाबले विशेष अधिकार प्रदान करता था। भारतीय संविधान में अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबन्ध सम्बन्धी भाग 21 का अनुच्छेद 370 जवाहरलाल नेहरू के विशेष हस्तक्षेप से तैयार किया गया था।
ऐसे अस्तित्व में आया था 370
उस समय की आपातकालीन स्थिति के मद्देनजर कश्मीर का भारत में विलय करने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी करने का समय नहीं था। इसलिए संघीय संविधान सभा में गोपालस्वामी आयंगर ने अनुच्छेद 306-ए का प्रारूप पेश किया। यही बाद में अनुच्छेद 370 बना। जिसके तहत जम्मू-कश्मीर को अन्य राज्यों से अलग अधिकार मिले हैं।
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद ये सब इतिहास बन गए
- जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है।
- जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी कर ले तो उस महिला की जम्मू-कश्मीर की नागरिकता खत्म हो जाएगी।
- यदि कोई कश्मीरी महिला पाकिस्तान के किसी व्यक्ति से शादी करती है, तो उसके पति को भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती है।
- अनुच्छेद 370 के कारण कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है।
- जम्मू-कश्मीर में भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं है। यहां भारत की सर्वोच्च अदालत के आदेश मान्य नहीं होते।
- जम्मू-कश्मीर का झंडा अलग होता है।
- जम्मू-कश्मीर में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं।
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद ये सब इतिहास बन गए
- कश्मीर में अल्पसंख्यक हिन्दूओं और सिखों को 16 फीसदी आरक्षण नहीं मिलता है।
- अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में सूचना का अधिकार (आरटीआई) लागू नहीं होता।
- जम्मू-कश्मीर में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) लागू नहीं होता है।
- जम्मू-कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू है।
- जम्मू-कश्मीर में पंचायत के पास कोई अधिकार नहीं है।
- जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 साल होता है। जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 साल होता है।
- भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के संबंध में बहुत ही सीमित दायरे में कानून बना सकती है।
- जम्मू-कश्मीर में काम करने वाले चपरासी को आज भी ढाई हजार रूपये ही बतौर वेतन मिलते हैं।