महिलाओं की सुरक्षा को लेकर उठ रहे सवालों के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है. अब देश के हर थाने में महिला हेल्प डेस्क स्थापित की जाएगी. ये योजना देश के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में लागू होगी. इसके साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निर्भया फंड के लिए 100 करोड़ रुपए जारी किए. हैदराबाद में वेटेनरी महिला डॉक्टर के साथ रेप और उसकी हत्या के मामले के बाद उन्नाव में रेप पीड़िता को जिंदा जलाकर मारने की कोशिश के बाद देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर लोगों में गुस्सा है. इसके बाद सरकार से दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाने की मांग की जा रही है. संसद में भी इस बारे में सख्त कानून बनाने की मांग की गई.
‘महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर अंकुश के लिए सुधार किया जाना चाहिए’
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जे चेलमेश्वर ने कहा है कि जब भी सनसनीखेज अपराध होते हैं तो अपराधियों को कड़ी सजा देने की मांग उठती है लेकिन व्यव्यस्था को और कुशलतापूर्वक ढंग से काम करने के लायक बनाना महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर अंकुश पाने के लिए जरूरी है. उन्होंने कहा कि जांच, अभियोजन और समाधान से जुड़ी व्यवस्था की कार्यकुशलता में सुधार पर अविलंब बहस होनी चाहिए और इस मुद्दे के विभिन्न पक्षों को सरकार और विधायिका के संज्ञान में लाया जाना चाहिए.
हर अपराथ के बाद उठती है रटी-रटाई मांग तेलंगाना में महिला पशुचिकित्सक के साथ सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के आलोक में यहां सी आर फाउंडेशन द्वारा महिलाओं की सुरक्षा पर आयोजित एक बैठक में न्यायाधीश चेलमेश्वर ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध बहुआयामी मुद्दा है. उन्होंने कहा कि जब भी कोई सनसनीखेज अपराध होता है तो अपराधियों को कड़ी सजा देने की ‘रटी-रटायी’ मांग उठती है लेकिन इन बातों में गये बगैर व्यवस्था को और कुशलतापूर्वक कार्य करने के लायक बनाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में आपराधिक मामले करीब 30 सालों तक अनसुलझे रहते हैं और एक बार 24 सालों से लंबित एक मामला बतौर न्यायाधीश उनके समक्ष आया था. पूर्व न्यायाधीश ने मामलों में लंबी देरी, उनमें उनके द्वारा निपटाये गये मामले भी हैं, का हवाला देते हुए कहा कि मामला किसी की आलोचना करने का नहीं है, दरअसल कानून इस सिद्धांत पर काम करता कि कुछ डर होगा. उन्होंने कहा कि यदि यह हमारी कार्यकुशलता है तो मैं नहीं समझता कि अपराध करने वाला व्यक्ति क्यों डरेगा.