दुनिया में कई धर्म और जातियों के लोग रहते हैं। इनमे सिर्फ तीन ही जेंडर मिलते हैं, पुरुष, महिला और किन्नर। सभी की अपनी लाइफस्टाइल अलग है, सभी के अपने काम करने के तौर तरीके और नियम अलग हैं। आज मैं खासतौर पर बात किन्नरों की करने जा रहा हूँ। इनकी लाइफस्टाइल सभी से भिन्न होती है। इनके रहन सहन से लेकर अंतिम संस्कार तक के नियम और कायदे अलग होते हैं। आज मैं इस पोस्ट में किन्नरों की लाइफस्टाइल से जुड़ी बहुत ही रोचक बात बताने जा रहा हूँ और उस बात को जानकर शायद आपको भी आश्चर्य जरूर होगा। जी हाँ दोस्तों, मैं बात कर रहा हूँ किन्नरों के अंतिम संस्कार के बारे में। किन्नरों के अंतिम संस्कार को आम आदमी नहीं देख सकता है। ऐसा क्यों हैं ? आइये जानते हैं इस सच्चाई के बारे में।
इस वजह से किन्नरों के अंतिम संस्कार को आम आदमी नहीं देख सकते
किन्नरों की मृत्यु के बाद इनका अंतिम संस्कार आम आदमी से बिल्कुल अगल होता है। ज्यादातर धर्मों के लोगों का मरने के बाद अंतिम संस्कार दिन में किया जाता है और इसके विपरीत किन्नरों का अंतिम संस्कार रात के समय किया जाता है। इस की मुख्य वजह यही है कि इनके अंतिम संस्कार को कोई भी आम आदमी न देख सके। इनका मानना है यदि कोई व्यक्ति किन्नर का अंतिम संस्कार को देखेगा तो वो किन्नर फिर से किन्नर का ही जन्म लेता है। किन्नर के अंतिम संस्कार के पहले मजूद सभी किन्नर मृत किन्नर की डेड बॉडी को जूते चप्पल से भी पीटते हैं।
अब आपके मन में ये सवाल जरूर उठेगा कि आखिर किन्नर के अंतिम संस्कार के पहले डेड बॉडी को जूते और चप्पल से क्यों पीटा जाता है। यह सच्चाई जानकर आपको हैरानी होगी कि किन्नर ऐसा इसलिए करते हैं ताकि उस जन्म में किए सारे पापों का प्रायश्चित हो सके और वो इंसान दोबारा किन्नर के रूप में दोबारा जन्म न लें। खैर ये तो अपने-अपने जीने और मरने के तरीके हैं, कौन किस रूप में जीवित से मृत तक अपनी लाइफस्टाइल कैसे जीता है। ये अपना अलग-अलग तरीका है, किन्तु किन्नरों का ये तरीका जरूर आश्चर्यचकित कर देने वाला है।