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लोकवाणी : भूपेश चले रमन के पथ पर!

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छत्तीसगढ़ में 15 वर्षों की डॉक्टर रमन सिंह, भाजपा सरकार के पश्चात कांग्रेस की भूपेश सरकार सत्तासीन हुई है. मगर कुछ फिजूल बेकार के मसले ऐसे हैं जिन पर भूपेश बघेल चाह कर भी नकार नहीं पा रहे. अगर वह लीक तोड़कर नया काम करते हैं तो पता चलता कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ को नई दिशा दे सकते हैं, उनमें नई ऊर्जा है, कुछ नया करने का ताब है.

इसमें सबसे महत्वपूर्ण है डॉ रमन सिंह का रेडियो और आकाशवाणी से प्रतिमाह छत्तीसगढ़ की आवाम को संदेश देना और बातचीत करना. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी डॉ रमन सिंह की तर्ज पर “लोकवाणी” कार्यक्रम के माध्यम से आवाम से बात करते हैं जो सीधे-सीधे डॉ रमन सिंह की नकल के अलावा कुछ भी नहीं है.

क्या यह अच्छा नहीं होता कि भूपेश बघेल और तरीका आम जनता से बातचीत करने के लिए ईजाद करते. क्योंकि लोकवाणी का यह कार्यक्रम पूरी तरह फ्लाप और बेतुका है. इसकी सच्चाई को जानना हो तो जिस दिन लोकवाणी का कार्यक्रम प्रसारित होता है उसे ग्राउंड पर जाकर, आप अपनी आंखों से देख लें . यह पूरी तरह से एक सरकारी आयोजन बन चुका है शासकीय पैसे पर, जिले के चुनिंदा जगहों पर व्यवस्था करके लोग सुनते हैं. आम आदमी का इससे कोई सरोकार दिखाई नहीं देता.

भूपेश बघेल की ‘लोकवाणी’!

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी की पांचवी कड़ी का प्रसारण आगामी 8 दिसम्बर, रविवार को होगा. व्यवस्था यह बनाई गई है कि लोकवाणी का प्रसारण छत्तीसगढ़ स्थित आकाशवाणी के सभी केन्द्रों, एफ.एम.चैनलों और राज्य के क्षेत्रीय न्यूज चैनलों से सुबह 10.30 से 10.55 बजे तक हो.

जिस तरह डॉ रमन सिंह के समय में सरकारी अमला जनसंपर्क, संवाद प्रचार प्रसार करता था, वैसा ही नकल पुन:भदेस रुप, ढंग से अभी किया जा रहा है. कहा जा रहा है “-उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने समाज के हर वर्ग की भावनाओं, सवालों, और सुझावों से अवगत होने तथा अपने विचार साझा करने के लिए लोकवाणी रेडियोवार्ता शुरू की है.”

लोकवाणी में इस बार का विषय ‘आदिवासी विकास: हमारी आस’ रखा गया है. अच्छा होता लोकवाणी के नाम पर जो पैसा समय बर्बादी हो रही है और हाथ कुछ नहीं आ रहा, उससे अच्छा होता भूपेश बघेल अचानक कहीं पहुंच जाते और आम जन से चुपचाप बात कर निकल जाते!ऐसे मे उन्हें पता चल जाता कि जमीनी हकीकत क्या है. किसान, गरीब, मजदूर और मध्यमवर्ग का आदमी उनसे क्या कहना चाहता है उसे समझ कर और बेहतरीन तरीके से छत्तीसगढ़ को आगे ले जा सकते हैं.

श्रेष्ठतम सलाहकार कहां है?

भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री शपथ लेने के पश्चात जो पहला काम किया था उनमें उनके संघर्ष के समय के सहयोगी पत्रकार विनोद वर्मा, रुचिर गर्ग जैसे बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों को “मुख्यमंत्री का सलाहकार” नियुक्त करना था. इस सब के बाद ऐसा महसूस हुआ था कि डॉक्टर रमन सरकार की अपेक्षा भूपेश सरकार जमीन से ज्यादा जुड़ी होगी.

आम आदमी के जीवन संघर्ष, त्रासदी को भूपेश बघेल की सरकार संवेदनशीलता के साथ समझेगी और दूर करेंगी. जिस की सबसे पहली पहल किसानों के कर्ज माफी और 25 सौ रुपए क्विंटल धान खरीदी को लेकर की भी गई. मगर इसके पश्चात और इसके परिदृश्य में देखा जाए तो छत्तीसगढ़ के हालात अच्छे नहीं हैं, इस संवाददाता ने छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिला के कृषि मंडी के कुछ किसानों से बात की, किसानों ने बताया कि” हालात ऐसे हैं कि जबरा मारता है और रोने भी नहीं देता” जैसे हालात छत्तीसगढ़ में किसानों के साथ बन चुके हैं.

जो धान पहले पंद्रह सौ 1600 रुपये कुंटल में गांव में बिक जाता था अब पुलिसिया प्रशासनिक एक्शन के कारण कोई खरीदने को तैयार नहीं है . यह हालात देखकर लगता है कहां है मुख्यमंत्री महोदय के सलाहकार, कहां है अभी एक डेढ़ वर्ष पूर्व के संघर्षकारी भूपेश बघेल, टी एस सिंह देव और उनकी टीम.