जिले में लोगो के रोजगार का एकमात्र जरिया मनरेगा अब खुद ही आर्थिक तंगी से जुझ रहा है। विभाग की आर्थिक तंगी का असर वहां काम करने वाले कर्मचारियों पर दिखने लगा है, विभाग ने सालों से काम कर रहे अस्थाई कर्मचारियों को हटाने का फैसला लिया है। अकेले देवभोग मनरेगा कार्यालय से 15 अस्थाई डाटा एंट्री ऑपरेटर्स को निकाल दिया गया है। पूरे जिले की बात की जाये तो 50 से अधिक अस्थाई डाटा एंट्री ऑपरेटर्स को काम नही होने का हवाला देकर नौकरी से निकाला गया है। जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे है। वहीं नौकरी से निकाले गये युवाओं के सामने एक बार फिर रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। ये युवा 10 साल से विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे थे। और अब इन्हें अचानक निकाल दिया गया है। जिले में मनरेगा कार्यो की बात की जाये तो फिलहाल मनरेगा के काम बिल्कुल ठप पड़े है। गिनी-चुनी पंचायतों को छोड़ दिया जाये तो अधिकांश पंचायतों में फिलहाल मनरेगा का कोई काम संचालित नही हो रहा है।