राजधानी सहित प्रदेश में बेमौसम बरसात, हवाओं के रुख से से धरती पुत्र डरे हुए हैं। क्योंकि धान खरीदी केंद्रों में धान उठाव का काम सुस्त चल रहा है। कई किसान मिसाई कर लिए हैं तो उनका धान खलिहान में पड़ा है। कई किसानों का धान खेत में पड़ा है। ऐसे में अन्नादाता परेशान हैं। अब किसान धान के रख-रखाव में जुट गया है। इसके लिए उन्हें अतिरिक्त खर्च करने पड़ रहे हैं।
समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए कई किसानों का टोकन पंद्रह दिन पहले कट चुका है, लेकिन अभी वह डेट नहीं आई है, जिस दिन उन्हें खरीदी केंद्रों में धान लेकर जाना है। खरीदी केंद्रों के प्रभारियों का कहना है बरसात को लेकर हर संभव तैयारी पूरी कर ली गई है।
किसानों को जिस दिन की डेट मिली है उस दिन ही धान केंद्र पर लाने को कह दिया गया है। केंद्रों में तालपतरी से खुले में पड़े धान को अच्छी तरीके से ढंक दिया गया है, ताकि एकाएका बारिश होने पर धान को कोई नुकसान न हो। ज्ञात हो कि कई अन्य राज्यों में पिछले दो-तीन दिनों से बारिश के साथ ओले पड़े हैं। इसे लेकर मौसम विभाग अलर्ट भी जारी कर चुका है।
रखवाली में कट रहे दिन-रात
धान समिति केंद पर कूपन कटने के दिन ही धान लेकर पहुंचना है, इससे किसान धान की कटाई कर कट्टे में भरकर खेत, खलिहान में रखकर उस दिन का इंतजार कर रहे है। मवेशियों का खतरा, मौसम बिगड़ने से किसान अपने परिवार के साथ दिन-रात धान की रखवाली कर रहे हैं। आरंग के एक किसान ने बताया कि खेत में रखे धान को सीधे ट्रैक्टर से समिति केंद्र पर ले जाएंगे। घर ले जाने से दोबारा ट्रैक्टर का खर्च देना पड़ेगा। फसल की लागत अभी तक मिल नहीं पायी है। साहूकार से लेकर मजदूरी का कर्ज चढ़ गया है।
पिछले वर्ष भी हुई थी बारिश
समर्थन मूल्य पर चल रही धान खरीदी के समय बारिश पिछले वर्ष भी हुई थी। तब फसलों, धान को काफी नुकसान हुआ था। अभी अन्य राज्यों में बारिश हुई उससे प्रदेश में भी धान के लिए संकट खड़ा हो गया है। कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो बारिश होने से धान में नमी आने के साथ गुणवत्ता पर असर पड़ता है। दाने काले हो जाते हैं और नरम पड़ जाते हैं। ठीक इसी तरह से तेज हवा चलने के कारण कई फसलों धान के अलावा जैसे नरमा, कपास और दलहन को भी नुकसान हो सकता है।