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भारत की जेलों में वैसा ही खाना मिलता है जैसा फ़िल्मों में दिखाते हैं क्या सच में?

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फ़िल्मो में अक्सर आपने देखा होगा की जेल में पतली दाल और ख़राब चावल परोसे जा रहे है,ये जानकारी कितने सही है और कितनी गलत ये हम आपको बताएंगे, हममें से कई लोग पुलिस थाने, कोर्ट और जेल को उतना नहीं जानते हैं,जितनी सच्चाई होती है,जिन लोगो को जेल के बारे में पता नहीं होता ,वो फ़िल्मों में दिखाई गयी बात को ही सच मानते है,पर ये सच नहीं है,फिल्मो का अधिकांश हिस्सा बनावटी होता है.

किसी ने जिज्ञासावश सवाल उठाया कि ‘भारतीय जेल में एक क़ैदी को कितना खाना मिलता है?’ इसके जवाब मिले, कुछ लोगों ने अपने अनुभव से इसका जवाब दिया, तो किसी ने अपने किसी करीबी के अनुभव से अपनी बात कही.

भारत में जेलों में देख-रेख मुख्य रूप से राज्य सरकारें करती हैं, और जेल के भीतर खान-पान की व्यवस्था भी राज्य के हिसाब से अलग अलग होती है, जेल में अलग अलग दर्जे होते हैं, तो रहने-सहने का ढंग भी जेल के प्रकार पर निर्भर करता है.

यहां हर विशिष्ट जेल की खाने की दिनचर्या Quora पर दिेए गए जवाब के हिसाब से तैयार की गई है. साथ ही साल जेल में उनके अनुभवों को भी लिखना ज़रूरी है.

जेल में मिलने वाली मानक ख़ुराक का विवरण देना ज़रूरी है. ये चार्ट वज़न के हिसाब से तैयार किया गया है, लेकिन कुछ राज्यों में वज़न की व्यवस्था को बदल कर कैलोरी के हिसाब से क़ैदियों को खाना दिया जाता है.जो इस तरह से है.

सबके अनुभवों में एक बात ज़रूर कही कि ज़्यादातर मामलों में साथी क़ैदी मदद करते हैं. एक साथ रहने की वजह से सभी कड़ियों में एक आपसी रिश्ता कायम हो जाता है,और कैदियों के घर से आये सामग्रियों का लैन-दैन भी चलता रहता है.

एक और रोचक बात सामने आयी है की खाने की चीज़ो की जैसे बिस्कुट,आचार,फल,नमकीन चोरी भी हो जाते है,पर चोर की दयालुता तो आप देखे वो जिसका सामान चुराता है उसके हिस्सा का छोड़ कर जाता है ।

सभी के जवाबो से ये कहा जा सकता है की कि देश के हर जेल में ‘दाल’ तो पानी जैसी ही मिलती है और सारे क़ैदी अच्छे अपने पसंद के खाने के लिए रविवार का इंतज़ार करते हैं.

कई जेलो में पुलिस और क़ैदी के बीच का रिश्ता पुलिस चोर से ज़्यादा भाईचारे का होता है,पर हर पुलिस वाला अच्छा हो ये ज़रूरी नहीं है,कुछ पुलिस वाले कैदियों के परिवारजनों से मिलाने के लिए घूस लेते हैं और क़ैदी ऐसे पुलिस वालो का पूरा ध्यान रखते है,उनको जो भी सामान मिलता है, बिना किसी नाराज़गी के आधा सामान उन पुलिस वालो को दे देते है ।

ऊपर वाला न करे कभी आपके जेल जाने का नंबर आये पर कभी जेल जाना पढ़े,तो आप अचार ज़रूर ले जाये, जिससे खाने में टेस्ट बना रहे क्योंकि रविवार के अलावा सभी दिन मिलने वाले खाने में दाल, सब्ज़ी और पानी में ज़्यादा अंतर नहीं होता है।

ऐसा नहीं है कि सभी Quora यूज़र्स ने खाने की ऐसी खास बुराई नहीं की है,दक्षिण भारत के लोग जेल में मिलने वाले खाने से ज़्यादा नाराज़ नहीं हैं, उनके जवाब सामान्य थे. साथ ही तिहाड़ घुम आए Quora यूज़र्स ने भी कहा है की वहां की व्यवस्था अच्छी है.

बहुत से जेलों में घूस खाने के बाद सिगरेट-तंबाकू की व्यवस्था भी आसान हो जाती है, गुरुग्राम की भोंडसी जेल में रहे एक क़ैदी ने बताया कि जेल के अंदर कोई कैदी चाहे तो खाना खुद बना सकता है, पर ये सब (ग़ैरक़ानूनी रूप से),होता है, जो कैदी ऐसा चाहता है उनके परिजन एक सप्ताह का राशन क़ैदी को लेकर दे जाते हैं.