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आखिर जेसीबी मशीन का रंग पीला ही क्यों होता है, क्या इस बारे में आपको है कोई जानकारी, अगर नहीं तो जानें

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जेसीबी मशीन को तो आप सभी ने देखा होगा। आपको बता दें इसका इस्तेमाल दुनिया मे लगभग हर जगह किया जाता है। वैसे तो वह आम तौर पर इसका इस्तेमाल खुदाई के लिए किया जाता है । हालाकिं कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर भी जेसीबी की खुदाई खूब वायरल हुई थी। यह बात तो आप सभी जानते ही है। कि जैसी भी पीले रंग की होती है। लेकिन क्या आपको यह बात मालूम है कि आखिर यह मशीन पीले ही रंग की क्यों होती है। तो चलिए आज आपको बताते है।

जेसीबी के बारे में जानने से पहले इस मशीन के बारे में कुछ अनोखी बातें जान लीजिए। दरअसल जेसीबी ब्रिटेन की मशीन बनाने वाली एक कंपनी है। जिसका मेन ऑफिस इंग्लैंड में स्थित है। आपको बता दें कि इसके प्लांट दुनिया के 4 महाद्वीपों में बने हुए हैं।

जेसीबी दुनिया की पहली ऐसी मशीन है जो बिना नाम के साल 1945 में लांच की गई थी । इस मशीन को बनाने वाले कई सारे लोगों ने इस मशीन को नाम देने की कई बार कोशिश की। लेकिन कोई भी अच्छा नाम नहीं मिल पाने के कारण इसके निर्माण करता जोसेफ सायरिल के नाम पर ही इसका नाम रख दिया।

आपको यह जानकार हैरानी होगी की जेसीबी पहली निजी ब्रिटिश कंपनी थी। जिसने इंडिया में अपनी फैक्ट्री लगाई थी। हालांकि मौजूदा समय में जेसीबी मशीन का निर्यात पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा किया जाता है।

आपको बता दें कि साल 1945 में जोसेफ ने सबसे पहली मशीन एक टीपिंग ट्रेलर बनाई थी। जो कि सामान ढोने वाला एक ट्रेलर था।

दुनिया का पहला और सबसे मजबूत तेज रफ्तार ट्रैक्टर फास्ट्रेक जेसीबी कंपनी है। साल 1991 में बनाया था आपको बता दें कि इस ट्रैक्टर की सबसे ज्यादा रफ्तार 65 किलोमीटर प्रति घंटा की थी। इतना ही नहीं इस टैक्टर को प्रिंस ऑफ वेल्स के अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है।

आपको यह बात जानकर भी हैरानी होगी कि साल 1948 में जेसीबी कंपनी के अंदर सिर्फ 6 लोग करते थे। लेकिन आज के समय में दुनिया भर में लगभग 11000 कर्मचारी हैं। जो इस कंपनी के लिए काम करते हैं।

शुरुआत में जेसीबी मशीन का कलर सफेद और लाल हुआ करता था। लेकिन बाद में इसका रंग बदल कर पीला कर दिया गया। हालाकिं इसके यह तर्क भी दिया जाता है कि इसका रंग ऐसा है जो कि आपको आसानी से दिख जाता है। फिर चाहे दिन हो या रात हो इससे लोगों को आसानी से पता लग जाता है कि यहां पर खुदाई का काम चल रहा है।