अल्का जायसवाल। मराठाओं की शौर्यता और वीरता की कहानियों तो हम बचपन से सुनते और पढ़ते आए हैं। इन गाथाओं को बॉलीवुड भी काफी समय से पर्दे पर उतारता रहा है। एक बार फिर से एक ऐसी ही गौरवमयी गाथा लेकर आए हैं ओम राउत जो आज सभी सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म का नाम है ‘तान्हाजी : द अनसंग हीरो’। इस फिल्म से अजय देवगन पहली बार किसी पीरियोडिक ड्रामा का हिस्सा बने हैं। इसके साथ ही काफी लंबे समय के बाद अजय देवगन और काजोल की जोड़ी एक बार फिर से बड़े पर्दे पर दिखाई दी है। अजय और काजोल का साथ देने सैफ अली खान फिल्म में विलेन का किरदार निभा रहे हैं। अगर आप इस फिल्म को देखने का प्लान बना रहे हैं तो पहले पढ़ें ये मूवी रिव्यू (Movie Review)…
शौर्यता और वीरता से भरी ‘कहानी’ (Story)
फिल्म की कहानी मराठाओं और मुगलों के बीच की जंग की है। एक तरफ मुगल सल्तनत का राजा औरंगजेब देश के अलग-अलग हिस्सों में कब्जा करके अपने साम्राज्य को बढ़ा रहा होता है वहीं दूसरी तरफ छत्रपति शिवाजी महाराज (शरद केलकर) अपना स्वराज की हिफाजत करते हुए मराठाओं की रक्षा कर रहे होते हैं। उसी बीच औरंगजेब धोखे से छत्रपति शिवाजी महाराज के 23 किले अपने कब्जे में ले लेता है इन 23 किलों में शामिल होता है कोंडाणा का किला। 23 किले मिलने के बावजूद मुगलों का लालच खत्म नहीं होता और वो देश के बाकी हिस्सों पर भी कब्जा करना चाहता है। इसके लिए वो अपने सबसे खास और विश्वासपात्र उदयभानु राठोड (सैफ अली खान) को अपनी भारी-भरकम सेना और नागिन नाम की एक बड़ी तोप के साथ कोंडाणा किले की तरफ भेजता है जिससे कि वो वहां जाकर मराठा साम्राज्य का खात्मा कर सके। इसकी जानकारी मिलते ही शिवाजी उदयभान को रोकना चाहते हैं कि उसी समय सुबेदार तान्हाजी मालुसरे (अजय देवगन) अपने बेटे की शादी का न्यौता उन्हें देने आते हैं। शिवाजी नहीं चाहते कि बेटे की शादी के खुशी के बीच तान्हाजी को होने वाले इस युद्ध की कोई भी जानकारी मिले लेकिन आखिरकार तान्हाजी को इसकी भनक लग ही जाती है और वो शादी छोड़कर जंग के लिए तैयार हो जाते हैं। तान्हाजी के इस फैसले में साथ देती हैं उनकी पत्नी सावित्रीबाई मालुसरे (काजोल)। अब किस तरह तान्हाजी उदयभान से कोंडाणा को मुक्त कराते हैं और किस तरह से मराठा साम्राज्य की रक्षा करते हैं ये तो आपको फिल्म देखकर ही पता चलेगा।
जानदार ‘एक्टिंग’ (Acting)
फिल्म में एक्टिंग की बात करें तो सभी कलाकारों ने अपने-अपने किरदार को पर्दे पर बखूबी जिया है। सबसे पहले बात करें अजय देवगन की जो सुबेदार तान्हाजी मालुसरे के किरदार में बिल्कुल फिट बैठे हैं। शौर्यता, वीरता, साहस, देशभक्ति और सारे ही इमोशन्स उन्होंने परफेक्ट और बैलेंस तरीके से दिए हैं। तान्हाजी के किरदार में उनकी बेहतरीन अदाकारी इस बात को साबित करती है कि वो आने वाले समय में पीरियोडिक ड्रामा फिल्मों के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। वहीं बात करें काजोल की तो सावित्रीबाई मालुसरे को उन्होंने खूबसूरती से पर्दे पर निभाया है, खासकर कि जो इमोशल पार्ट है उसमें काजोल हमेशा की तरह खरी उतरी हैं। उनकी और अजय की जोड़ी एक बार फिर से लोगों का दिल जीत लेगी। उदयभान राथौड़ के रोल में सैफ अली खान ने काबिले-तारीफ काम किया है। फिल्म के विलेन को उन्होंने पूरी तरह से पर्दे पर जिया है, एक ऐसा विलेन जो आपको खुद से नफरत करने पर मजबूर कर देगा। हालांकि उनके किरदार में आपको फिल्म पद्मावत में रणवीर सिंह द्वारा निभाए गए खिलजी की झलक सी दिखेगी लेकिन सैफ ने अपनी अदाकारी से इसे एक अलग ही रंग दे दिया है। शरद केलकर ने फिल्म में छत्रपति शिवाजी महाराज का किरदार निभाया है और उसमें उन्होंने खुद को बहुत ही बेहतरीन तरीके से ढाला है। बाकी सभी सपोर्टिंग एक्टर्स जैसे कि ल्यूक केनी, जगपति बाबू, नेहा शर्मा ने अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है।
दमदार ‘डायरेक्शन’ (Direction)
ओम राउत ने फिल्म का डायरेक्शन बहुत ही बेहतरीन तरीके से किया है। उन्होंने अपनी कहानी को उसके सब्जेक्ट ‘तान्हाजी’ के ही ईर्द-गिर्द रखा। हालांकि फिल्म को एंटरटेनिंग बनाने के लिए इसमें थोड़ी बहुत सिनेमैटिक लिबर्टी ली गई है लेकिन वो फिल्म को और भी खूबसूरत बनाती है। फिल्म का सब्जेक्ट इसे सबसे ज्यादा मजबूत बनाता है जिसे ओम राउत ने बखूबी पर्दे पर उतारा है। पीरियोडिक ड्रामा होने के नाते इसमें डायलॉग्स पर काफी अच्छा काम किया गया है। सभी एक्शन सीन को ओम राउत ने बहुत ही दमदार तरीके से फिल्माया है। फिल्म के फर्स्ट पार्ट आपको थोड़ा डगमगाता दिखता है लेकिन इसका सेकेंड पार्ट आपको खुद से बांध लेता है।
काबिले-तारीफ ‘एडिटिंग’ (Editing)
फिल्म में जान डाली है इसके वीएफएक्स (VFX) ने जिसका बहुत ही बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल किय गया है। किसी भी सीन में इसमें कोई भी खामी निकाल पाना मुमकिन नहीं है। फिल्म को 3डी (3D) में पेश किया गया है जो इसे और भी ज्यादा प्रभावशाली बनाता है। वहीं बात करें फिल्म के सिनेमेटोग्राफी की तो वो काफी अच्छी है। फिल्म की शानदार एडिटिंग इसे एक अलग ही ऊंचाई देती है।
जोश से भरा ‘म्यूजिक’ (Music)
फिल्म का म्यूजिक बहुत ही शानदार है। इन्हें अपने शब्दों से सजाया है अनिल वर्मा और स्वानंद किरकिरे ने और म्यूजिक दिया है । फिल्म में चार गाने हैं जो फिल्म में चार चांद लगाते हैं। इनके लिरिक्स और म्यूजिक दोनों में ही मराठाओं की शौर्य और वीरता को महसूस किया जा सकता है। फिल्म के कुछ गाने जैसे ‘घमंड कर’ और ‘मां भवानी’ ऐसे गानें हैं जो लंबे समय तक आपकी जुबान पर चढ़े रहेंगे और आपकी प्ले लिस्ट का हिस्सा बने रहेंगे। बात करें फिल्म के बैकग्राउंड स्कोर की तो वो फिल्म में जान फूंकने का काम करते हैं।
बहुत कुछ है खासये फिल्म आपको इतिहास के सुनहरे पन्ने पर लिखी गई गाथा को और गुमनाम रह गए योद्धाओं को जीवंत करती है जिन्हें सभी को जानना चाहिए।फिल्म में वीएफएक्स का बहुत ही बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल किया गया है जो आपको देखने में बहुत ही अच्छा लगेगा।फिल्म 3डी में बनाई गई है जो आपको और भी बेहतरीन एक्सपीरियंस देती है।फिल्म के एक्शन सीन बहुत ही जबरदस्त तरीके से फिल्माए गए हैं।फिल्म के लिए लिखे गए डायलॉग्स काफी प्रभावी हैं।फिल्म की सबसे खास बात है कि ये लगातार आपको खुद से बांधे रखती है और कहीं भी बोझिल नहीं होती।
क्यों न देखेंअगर आपको पीरियोडिक ड्रामा नहीं पसंद है तो ये फिल्म आपके लिए बिल्कुल नहीं है।