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भारत के बयानबाजी और एक्शन से मलेशिया पस्त, बातचीत को तैयार…

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अगल हफ्ते विश्व आर्थिक फोरम की बैठक के दौरान दावोस में भारत और मलेशिया के वाणिज्य मंत्रियों के बीच भी अलग से बातचीत हो सकती है। मलेशियाई सरकार के प्रवक्ता ने समाचार एजेंसियों को भारत की ओर से मलेशिया के पॉम ऑयल आयात पर सख्ती के बाद इस तरह की बातचीत की संभावना जताई है। खबरें हैं कि दोनों देश चाहते हैं कि इस मामले का हल कूटनीतक तरीके से निकल जाए। गौरतलब है कि मलेशियाई पॉम ऑयल के आयात पर भारत की ओर से की कटौतियों के बाद शुक्रवार को उसके पॉम ऑयल की बेंचमार्क कीमतों में 11 वर्षों में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी। इसकी वजह से मलेशिया और उसके प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद के तेवर थोड़ने नरम पड़ने के संकेत मिल रहे हैं।

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाने के बाद मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर ने भारत में मुसलमानों के साथ भेदभाव के आरोप लगाकर भारत की नीतियों की गैरवाजिब आलोचनाएं की थीं। जिसपर भारत ने सख्त आपत्ति दर्ज कराई थी और वहां से पॉम ऑयल के आयात पर भारी कटौती कर दी थी। भारत ने जब पिछले हफ्ते इस तरह की पाबंदियां लगाई थी तो उसे महातिर की आलोचनाओं के खिलाफ ऐक्शन के तौर पर ही लिया गया था। हालांकि, पिछले गुरुवार को वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मलेशिया से बदला लेने की कोशिशों से इनकार किया था।

मलेशिया के अंतरराष्ट्रीय व्यापार और उद्योग मंत्रालय के प्रवक्ता ने समाचार ऐजेंसी को वहां के व्यापार मंत्री डारेल लेइकिंगऔर भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के बीच प्रस्तावित बातचीत की बात तो कही है, लेकिन कहा है कि इस बैठक का कोई एजेंडा तय नहीं है। उसने ये भी दावा किया है कि बातचीत का प्रस्ताव भारत की ओर से आया है। बता दें कि मुस्लिम बहुल देश मलेशिया दुनिया में पॉम ऑयल के दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। लेकिन, जब भारत के आंतरिक मामलों में मलेशिया के दखल देने की कोशिशों के बाद दोनों देशों के संबंधों में कड़वाहट पैदा हुई और भारत ने वहां से पॉम ऑयल का आयात कम कर दिया तो मलेशियाई पॉम ऑयल की बेंचमार्क कीमतों में पिछले शुक्रवार को 11 वर्षों में रिकॉर्ड सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई।

माना जा रहा है कि इसी के बाद मलेशिया के तेवर नरम पड़े हैं और वह भारत के साथ बातचीत को लेकर आगे बढ़ा है। भारत सरकार के सूत्रों ने भी इस तरह की बातचीत की संभावना जताई है, हालांकि इसपर खुलकर कुछ नहीं कहा है। गौरतलब है कि पहले से ये खबरें आ रही थीं कि भारत की प्रतिक्रिया को देखते हुए मलेशिया संबंधों को और नहीं बिगाड़ना चाहता है और इसे सुलझाने के लिए फिलहाल कूटनीति पर भरोसा करना चाहता है। जानकारी के मुताबिक भारत भी आगे इस विवाद को ज्यादा हवा नहीं देना चाहता। सूत्र के मुताबिक भारत मलेशिया से रिश्ते ज्यादा खराब नहीं होने देना चाहता, क्योंकि वहां भारतीय मूल के करीब 20 लाख लोग रहते हैं।

जून, 2019 के एक आंकड़े के मुताबिक वहां 1,17,733 भारतीय नागरिक विदेशी कामगार के तौर पर रजिस्टर्ड हैं, जो कि वहां के कुल विदेशी कामगारों की करीब 6फीसदी है। भारतीय मूल के मलेशियाई वहां की तीसरी सबसे बड़ी समुदाय है। भारत और मलेशिया के संबंधों में तनाव की एक बड़ी वजह कट्टरपंथी इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाइक है, जो मलेशिया में छिपा बैठा है। नाइक के खिलाफ भारत में मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर नफरत फैलाने वाले भाषण देने के आरोप दर्ज हैं, लेकिन वह तीन साल से भी ज्यादा वक्त से मलेशिया में बैठा हुआ है। उसे वहां स्थाई निवासी का भी दर्जा दे दिया गया है। अलबत्ता, वह भारत के आरोपों को खारिज करता रहा है।