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OPINION: राहुल गांधी ने क्यों दिया था इस्तीफा, अब क्यों आ रहे हैं वापस!

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कांग्रेस (Congress) एक बार फिर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को अपना अध्यक्ष बनाने की तैयारी में है. संभावना है कि दिल्ली विधासनभा चुनाव (Delhi Vidhansabha Election 2020) के बाद पार्टी फिर से राहुल को अपना अध्यक्ष चुनेगी. माना जा रहा है कि पार्टी ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी (AICC) का सत्र भी बुलाएगी जिसमें वायनाड (Waynad) से सांसद राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस के सर्वोच्च पद पर पदासीन किया जाएगा. इस पर कांग्रेस भी पूरी तरह से एक सुर में ताल मिला रहा है. सोनिया-राहुल-सोनिया और फिर राहुल, ऐसा लग रहा है मानों कोई म्यूजिकल चेयर खेला जा रहा हो.

इस फैसले पर कोई अचरज भी नहीं है क्योंकि जो भी कांग्रेस को जानता है उसे पता है कि राहुल आज नहीं तो कल लौट कर आएंगे ही. इस मकसद के पीछे यह तथ्य भी है कि पार्टी ने सोनिया को अपना ‘अंतरिम’ अध्यक्ष चुना. मां अपने बेटे के लिए कुर्सी सुरक्षित रख रही हैं. कहा जाता है कि बीते साल जब राहुल ने अपना इस्तीफा दिया था तो सोनिया ने कहा था- ‘गांधी कभी छोड़ते नहीं.’

यह फैसला हमारे सामने एक सवाल भी लेकर आता है कि आखिर राहुल ने क्यों इस्तीफा दिया था और वह क्यों वापस आ रहे हैं. दोनों सवाल दिलचस्पसवला है. उन्होंने साल 2019 की जुलाई में इस्तीफा दिया था क्योंकि वह पार्टी और दुनिया को यह बताना चाहते थे कि वह अलग किस्म के नेता हैं, एक नेता जो जिम्मेदारियां समझता है. उनके फैसले को काफी प्रशंसा हुई और राहुल को इस तरह से प्रदर्शित किया गया कि कैसे एक नेता को अपनी जिम्मेदारी समझना चाहिए. कई कांग्रेसी नेताओं ने बताया कि कैसे वह सत्ता के पीछे चलने वाले नेता नहीं थे.राहुल ने इस्तीफा इसलिए भी दिया क्योंकि वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से खफा थे. उन्हें लगा कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान उन्हें समर्थन नहीं मिला. वह इस बात से नाराज थे कि पार्टी नेताओं ने हार की जिम्मेदारी नहीं ली या उनकी राह पर चलते हुए इस्तीफा नहीं दिया. जब इस ओर घूमी लोगों की निगाहें…
जब राहुल ने इस बात के संकेत दिये कि इस बार परिवार के बाहर का कोई शख्स अध्यक्ष होगा तो लोगों की निगाहें सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुकुल वासनिक सरीखे चेहरों की ओर घूमी जो अपने कंधे पर जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार थे. लेकिन पुराने नेताओं को यह बात पता था कि सोनिया के अलावा कोई और राहुल की जगह नहीं ले सकता. उन्होंने चाल चली और सोनिया फिर से वापस आ गईं. परिवार यह जानता है कि यह करना इसलिए जरूरी था क्योकि 135 साल पुरानी पार्टी गांधी परिवार के करीब है और परिवार भी पार्टी का नेतृत्व नहीं छोड़ सकता है. ऐसे में इस बात की पूरी उम्मीद थी कि परिवार ही कांग्रेस अध्यक्ष की म्यूजिकल चेयर के आसपास परिवार ही घूमेगा.

राहुल समर्थक उत्साहितराहुल के समर्थकों का कहना है कि उनके कार्यकाल के दौरान दिसंबर 2017 से लेकर अगस्त 2019 तक पर्टी ने पांच विधानसभा चुनाव लड़े जिसमें गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ शामिल है. गुजरात में जहां कांग्रेस ने कड़ी टक्कर दी वहीं मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में सरकार बनाई. हालांकि बीते साल कर्नाटक में बागियों ने सरकार गिरा दी. ऐसे में वह फेल तो बिल्कुल भी साबित नहीं हुए.

राहुल का कैंप तब से उनकी वापसी के लिए आवाज उठा रहा है जब से उन्हें लगा कि नरेंद्र मोदी सरकार की लोकप्रियता नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, और घटती अर्थव्यवस्था आदि के कारण फिसल रही है. पिछले छह महीनों में पार्टी के मामलों में उनकी बढ़ती भागीदारी से राहुल समर्थक उत्साहित हैं.