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किसान आंदोलन के नाम पर देश की राजधानी दिल्ली में कैसा उपद्रव हुआ ये सभी ने देखा आखिर ‘दिल्ली’ के कितने गुनहगार ?

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रायपुर। किसान आंदोलन के नाम पर देश की राजधानी दिल्ली में कैसा उपद्रव हुआ ये सभी ने देखा। गणतंत्र दिवस के दिन पूरा राष्ट्र इनकी हरकतों से शर्मसार हुआ। 300 से ज्यादा पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान घायल हुए। उत्पात मचाने वालों में से एक की तो ट्रैक्टर पलटने से मौत तक हो गई। अब पुलिस ने शांतिपूर्वक आंदोलन का लिखित वादा कर हिंसा और दहशत फैलाने वालों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। हिंसा के खिलाफ अबतक 22 FIR दर्ज किए गए। किसानों के दो गुटों ने तो आंदोलन वापस लेने की घोषणा भी कर दी।. लेकिन सवाल ये है कि लोकतंत्र को ट्रैक्टर के टायर के नीचे कुचला जाना क्या महज संयोग था।या एक प्रयोग था।

सवाल ये भी कि आखिर ‘दिल्ली’ के कितने गुनहगार हैं।?

हथियार लेकर नहीं चलना
तय रूट का पालन करना
ट्रॉलियों के बिना ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली में प्रवेश करना

ये कुछ शर्तें थीं जिसपर सहमति किसान नेताओं और पुलिस के बीच बनी थी। लेकिन गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर रैली में शामिल प्रदर्शनकारियों ने कैसे नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया. इन तस्वीरों के जरिये आप खुद देखिये।

जी हां ट्रैक्टर रैली की आड़ में आंदोलनकारियों ने दिल्ली में जो तांडव किया।वो पूरे देश के सामने है।अब सवाल उठ रहा है कि।किसानों की आड़ में हुड़दंगी कौन थे।शांति पूर्ण प्रदर्शन के नाम पर किसने रची हिंसा की साजिश ?।देश की आन बान और शान का अपमान करने वाले विलेन क्या किसान थे।जाहिर है गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों के हिंसक आंदोलन की ऐसी तस्वीरें सामने आई। जिससे किसान आंदोलन की विश्वसनीयता और नीयत दोनों पर सवाल खड़े होने लगे हैं. 26 जनवरी की घटना के बाद किसान संगठनों में दो फाड़ होने की खबर भी सामने आई। हालांकि किसान संगठनों का दावा है कि।दिल्ली में हिंसा के पीछ किसान नहीं बल्कि असमाजिक तत्व थे।

ट्रैक्टर रैली की आड़ में हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस भी एक्शन में है। अब तक दो सौ से अधिक उपद्रवियों को हिरासत में ले चुकी है । दो दर्जन से ज्यादा FIR दर्ज हो चुके हैं।जिसमे राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव समेत कई बड़े किसान नेताओं के नाम शामिल है। CCTV कैमरों की फुटेज निकालकर उपद्रवियों की पहचान की जा रही है। हिंसा से जुड़े मामलों की जांच क्राइम जांच, स्पेशल सेल को सौंपी गई है। वहीं गृहमंत्रालय में भी बैठकों का दौर जारी है।वहीं मामले को लेकर सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गई है।

दिल्ली हिंसा को लेकर मध्यप्रदेश में भी आरोप-प्रत्यारोप की सियासत तेज है।राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने ट्वीट किया कि देश की अदालत ज़रूर पूछेगी सवाल- आखिर दिल्ली पुलिस को सरकार से क्या आदेश था।वहीं कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि किसान रैली में हिंसा बीजेपी ने प्रायोजित कराई।जिस पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि।कांग्रेस दूसरे के बच्चे को झूला झुलाकर कर वाहवाही ना लूटे।

बहरहाल 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा को लेकर अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू है।किसान नेता और विपक्ष इसके लिए सरकार और पुलिस को दोषी ठहरा रहे हैं।तो वहीं, दिल्ली पुलिस का कहना है कि परेड के दौरान किसानों की ओर से वादाखिलाफी हुई।अब सवाल ये है कि।है।.क्या ये प्री-प्लान था।.क्या ये साजिश थी।.अगर हां तो किसकी।सवाल ये भी कि अब 1 फरवरी को प्रस्तावित किसानों के संसद मार्च को अनुमति मिलेगी। ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के बाद किसान अब आंदोलन को आगे कैसे ले जाएंगे। और केंद्र सरकार इस पूरे मामले को लेकर क्या रुख अपनाएगी।ये भी देखना अहम होगा।