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बेमिसाल 50 साल: 34 शतक लगाने वाले गावस्कर के लिए खास है पांचवां शतक, बताई दिल छूने वाली कहानी

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सुनील गावस्कर(Sunil Gavaskar) ने आज ही दिन 1971 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया था. अपने पहले टेस्ट की दोनों पारियों में अर्धशतक जमाने वाले इस बल्लेबाज के क्रिकेट में 50 साल पूरे हो गए हैं. इस मौके पर हर कोई इस बल्लेबाज को बधाई दे रहा है.

. 6 मार्च 2021 का दिन सिर्फ भारतीय क्रिकेट ही नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट में सालों साल तक याद रखा जाएगा. क्योंकि आज ही के दिन भारत के पूर्व कप्तान और लिटिल मास्टर के नाम से मशहूर सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) के टेस्ट क्रिकेट में 50 साल पूरे हुए हैं. ये 50 साल बेमिसाल रहे हैं. गावस्कर को अपना बल्ला टांगे भले ही लंबा वक्त हो चुका हो. लेकिन वो आज भी लाखों लोगों के दिलों पर राज करते हैं. 70 के दशक में जब ऑस्ट्रेलिया के पास डेनिस लिली और जैफ थॉमसन, पाकिस्तान के पास सरफराज नवाज और इमरान खान, वेस्टइंडीज के पास एंडी रॉबर्ट्स, मैलकम मार्शल जैसे तेज गेंदबाज थे. उस दौर में भारत के पास सुनील गावस्कर के रूप में एक बल्लेबाज था जो इन सभी गेंदबाजों की धार कुंद करना जानता था. इस बल्लेबाज ने अपनी पहली ही टेस्ट सीरीज में इसे साबित किया. जब उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ 4 टेस्ट में 774 रन बनाए. डेब्यू सीरीज में 774 रन बनाने का उनका ये रिकॉर्ड आज तक नहीं टूटा है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वो कितने बड़े और किस कद के बल्लेबाज थे.

गावस्कर को पहली बार 1971 के वेस्टइंडीज दौरे पर टीम में शामिल किया गया था. तब उनके कप्तान अजित वाडेकर थे. जो घरेलू क्रिकेट में भी मुंबई की तरफ से खेलते वक्त उनके कप्तान रहे थे. सीरीज के पहले टेस्ट में चोट के कारण गावस्कर नहीं खेल पाए थे. इसे लेकर वो इतना परेशान हुए थे कि वो फूट-फूटकर रोने लगे थे. खुद वाडेकर ने ये किस्सा कई बार सुनाया है. गावस्कर को पोर्ट ऑफ स्पेन में हुए दूसरे टेस्ट में खेलने का मौका मिला और उन्होंने इसे खाली नहीं जाने दिया. उन्होंने टेस्ट की दोनों ही पारियों में अर्धशतक लगाया और भारत ने ये मुकाबला 7 विकेट से जीता. इस सीरीज में गावस्कर ने तीन शतक और एक दोहरा शतक लगाया था. जो आज तक किसी भी बल्लेबाज ने नहीं किया है. टेस्ट क्रिकेट में 50 साल पूरे होने पर जब टाइम्स ऑफ इंडिया ने उनसे इस प्रदर्शन को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि ये पूरी तरह किस्मत का खेल था. क्योकि इस सीरीज में सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में से एक सर गारफील्ड सोबर्स ने दो बार मेरा कैच छोड़ा था.

अपनी तकनीक पर भरोसा था इसलिए हेलमेट नहीं लगाया: गावस्कर
इसी इंटरव्यू में गावस्कर ने अपने हेलमेट न लगाने के राज का भी खुलासा किया. उन्होंने बताया कि उस दौर में कोई हेलमेट नहीं लगाता था और मुझे अपनी तकनीक पर भरोसा था. इसलिए मैं भी ऐसा नहीं करता था. वो तो मैलकम मार्शल की एक गेंद मेरे सिर पर लग गई थी. उसके बाद से मैंने स्कल कैप पहनना शुरू किया. हालांकि, वो भी करियर के आखिरी कुछ सालों में पहनना शुरू किया था जब गेंद नई रहती थी और जैसे ही गेंद पुरानी होती थी मैं पनामा कैप पहन लेता था.
गावस्कर बोले- एंडी रॉबर्ट्स सबसे घातक गेंदबाज थे

गावस्कर ने अपने टेस्ट करियर में वेस्टडंडीज के खिलाफ 27 टेस्ट में 65 से ज्यादा की औसत से 2749 रन बनाए थे. इसें 13 शतक और 7 अर्धशतक लगाए थे. इतने रन वेस्टइंडीज के खिलाफ किसी भी बल्लेबाज ने नहीं बनाए हैं. गावस्कर ने वेस्टइंडीज की उस दौर में वेस्टइंडीज की पेस बैटरी की तिकड़ी मैलकम मार्शल, एंडी रॉबर्ट्स और माइकल होल्डिंग का सामना किया था. टीओआई के इस इंटरव्यू में जब उनसे ये सवाल पूछा गया कि इन तीनों में सबसे घातक कौन था तो उन्होंने एंटी रॉबर्ट्स का नाम लिया. गावस्कर ने कहा कि वो ऐसे गेंदबाज थे कि 100 रन पूरा करने के बाद भी आपको ऐसे गेंद फेंक सकते थे जिसे खेला ही नहीं जा सकता था.

टेस्ट क्रिकेट की पहली ही सीरीज में 4 शतक लगाने के बाद जैसे गावस्कर को किसी की नजर लगी. उनके बल्ले से शतक आना बंद हो गए थे. करीब 3 साल और 8 टेस्ट के बाद उनका पांचवां शतक आया. वो भी इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर के ग्रीन टॉप विकेट पर. तब गावस्कर ने पहली पारी में 101 और दूसरी में 58 रन बनाए थे. वैसे तो गावस्कर ने अपने करियर में 34 शतक लगाए हैं. लेकिन उनके दिल के सबसे करीब ये पारी है.

मेरे लिए पांचवां शतक सबसे यादगार
गावस्कर ने खुद शनिवार को स्टार स्पोर्ट्स पर टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू के 50 साल पूरे होने पर हुए खास शो में इसका जिक्र भी किया. उन्होंने बताया कि पहली सीरीज में चार शतक लगाने के बाद पांचवें शतक के लिए मुझे बहुत इंतजार करना पड़ा था. तब मुझे लगने लगा था कि क्या पहले चार शतक कोई तुक्का थे. लेकिन जब मैनचेस्टर की हरी पिच पर मैंने पांचवां शतक लगाया तो मेरा खोया हुआ आत्मविश्वास लौट आया और यहां से मेरे टेस्ट करियर को नई दिशा मिली.

‘1983 का वर्ल्ड कप जीतना सबसे अहम पल’
गावस्कर के करियर में कई अहम पल आए जब उनका नाम रिकॉर्ड बुक में दर्ज हुआ. फिर चाहें सीरीज में दो बार 700 से ज्यादा रन बनाने वाले इकलौता बल्लेबाज बनने की बात हो या सबसे पहले टेस्ट में 10 हजार रन बनाने की बात. लेकिन उनके 1983 का वर्ल्ड कप जीतना सबसे अहम है. वो आज भी उस लम्हे को नहीं भूले हैं.

टेस्ट क्रिकेट में 50 साल पूरा होने के अवसर पर उन्होंने युवा खिलाड़ियों को यही सीख दी कि आप क्रिकेट से जिंदगी जीने का तरीका सीख सकते हैं. क्योंकि यहां आप एक पारी में शतक बनाते हैं तो दूसरी में शून्य पर भी आउट हो सकते हैं. ऐसे में ये खेल आपको जिंदगी के उतार-चढ़ाव से तालमेल बैठाना सिखाता है.