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रूस के विदेश मंत्री के इस्लामाबाद दौरे में पाकिस्तान से नजदीकी ने बढ़ाई भारत की चिंता

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पाकिस्तानी की तरफ से मेज़बानी में गर्मजोशी की नुमाइश दिखाई गई तो वहीं रूस ने भी रिश्तों की करवट का संदेश साफ किया. ऐसे में बुधवार दोपहर को द्विपक्षीय वार्ता के बाद मीडिया के आगे रु-ब-रु पाक और रूस के विदेश मंत्रियों ने इस नई दोस्ती को दिखाने का प्रयास भी किया.

भारत के फौरन बाद रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव पाकिस्तान पहुंचे तो इस दौरे पर भारतीय निगाहें भी लगी रहीं. वहीं इस्लामाबाद में रूसी विदेश मंत्री और उनके पाकिस्तानी समकक्ष के बीच हुई बात बातचीत ने भारत के लिए काफी गौर के सबब भी दिए हैं. रूस ने जहां आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए पाकिस्तान की हौसला अफजाई से लेकर उसे विशेष सैनिक सजो-समान देने का भरोसा दिया, वहीं पाकिस्तानी फौज के साथ साझा युद्धाभ्यास बढ़ाने का भी ऐलान किया. इतना ही नहीं रूस ने पाक के साथ परमाणु सहयोग का दरवाजा भी खोला दिया.

इस्लामाबाद में रूस और पाकिस्तान दोनों की तरफ से रिश्तों में नई गर्मजोशी दिखाने की कवायद साफ नजर आई. हवाई अड्डे पर लावरोव के स्वागत के लिए पाकिस्तानी विदेश मंत्री की मौजूदगी से लेकर बातचीत के दौरान रूस से अपने रिश्ते सुधारने के ललक की नुमाइश तक, इसे नई और खास शुरुआत दिखाने की कवायद नज़र आई.

पाकिस्तानी की तरफ से मेज़बानी में गर्मजोशी की नुमाइश दिखाई गई तो वहीं रूस ने भी रिश्तों की करवट का संदेश साफ किया. ऐसे में बुधवार दोपहर को द्विपक्षीय वार्ता के बाद मीडिया के आगे रु-ब-रु पाक और रूस के विदेश मंत्रियों ने इस नई दोस्ती को दिखाने का प्रयास भी किया.

रूसी विदेश मंत्री ने तीन साल पहले शंघाई सहयोग संगठन में पाकिस्तान के शामिल होने के बाद आतंकवाद निरोधक कार्रवाई में सक्रियता को लेकर उसकी तारीफ की. इतना ही नहीं रूस ने पाकिस्तान के साथ आतंकवाद निरोधक सहयोग बढ़ाने के लिए विशेष सैन्य उपकरण देने की घोषणा की. साथ ही पर्वतीय इलाकों और समंदर में पाकिस्तान के साथ सैन्य अभ्यास में रूसी दिलचस्पी का भी लावरोव ने इज़हार किया. रूस पाकिस्तान के साथ फ्रेंडशिप और अरेबियन मानसून नामक अभ्यास करना चाहता है.

ज़ाहिर है रूस और पाकिस्तान के बीच सैनिक स्तर पर बढ़ती नज़दीकी भारत के लिए चिंता के कारण बढ़ाती है. रूस ने बीते 5 सालों के दौरान जहां पाकिस्तान को Mi-35M युद्धक हैलीकॉप्टर दिए हैं वहीं उसके साथ सैन्य अभ्यास का सिलसिला भी बढ़ाया है. इस दौरान दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय सैन्य नेताओं के दौरे भी बढ़े हैं.

ध्यान रहे कि रूस पारंपरिक तौर पर भारत का सैन्य साझेदार रहा है. भारतीय रक्षा सेनाओं के पास अब भी अधिकतर हथियार रूसी है. साथ ही नाभिकीय पनडुब्बी जैसी संवेदनशील तकनीक पर रूस जहां भारत का करीबी सहयोगी रहा है तो वहीं पाकिस्तान के साथ रिश्तों में सुरक्षित दूरी बरतता आया है. लावरोव और भारतीय विदेश मंत्री के बीच 6 अप्रैल को हुई द्विपक्षीय वार्ता में भी भारत ने पाकिस्तान को दिए जाने वाले हथियारों को लेकर अपनी चिंताएं ज़ाहिर की.

हालांकि, सूत्रों के मुताबिक रूस की तरफ से इतना ही कहा गया कि भारत की चिंताओं से वो वाकिफ और पाकिस्तान के साथ उसका सहयोग मुख्यतः आतंकवाद निरोधक कार्रवाई तक सीमित है. वार्ता प्रक्रिया से वाकिफ सूत्रों के मुताबिक रूसी खेमा यह बताने में जुट था कि भारत के साथ उसके पुराने और गहरे रिश्तों का स्थान नहीं लिया जा सकता.

हालांकि बुधवार को हुई बातचीत के बाद आयोजित साझा प्रेस कांफ्रेंस में लावरोव ने इस्लामाबाद से कहा कि रूस नए क्षेत्र के तौर पर परमाणु ऊर्जा के मोर्चे पर भी पाक से सहयोग करना चाहता है. लावरोव के अनुसार रूस की सरकारी कम्पनी रोसेटम पाकिस्तानी परमाणु ऊर्जा आयोग के साथ गैर ऊर्जा नाभिकीय मैडिसन समेत नए क्षेत्रों में काम में दिलचस्पी रखती है.

ऊर्जा ज़रूरतें पूरी करने के लिए कराहती पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की मदद के लिए रूस ने लाहौर और कराची के बीच गैस पाइपलाइन बनाने का वादा भी दोहराया. रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि इस बाबत 2015 में समझौता हो चुका है. इसके लिए ज़रूरी प्रोटोकॉल पर दस्तखत होते ही रूस नार्थ-साउथ कनेक्टिविटी वाली इस पाइपलाइन का निर्माण शुरू कर देगा.

वहीं रूस के साथ पींगे बढाने की जुगत में पाकिस्तान ने रूसी स्पुतनिक कोरोना वैक्सीन को पहले ही अपने देश में इस्तेमाल की इजाजत दे दी. अपेक्षाकृत महंगे होने के बावजूद पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने स्पुतनिक टीके की तारीफों के काफी कसीदे पढ़े. इतना ही नहीं पाकिस्तान ने जहां 50 लाख स्पुतनिक डोज़ खरीदने का ऐलान किया तो साथ ही इसके साझा उत्पादन का भी प्रस्ताव मॉस्को को दे दिया.

गौरतलब है कि भारत में अभी स्पुतनिक टीके को आपात इस्तेमाल की इजाजत दिए जाने की प्रक्रिया जारी है. वहीं रूस ने स्पुतनिक के व्यापक उत्पादन के लिए भारतीय कम्पनी पेनेंशिया से करीब 20 करोड़ डोज़ प्रतिवर्ष के उत्पादन का करार किया है. रूस की कोशिश भारतीय वैक्सीन उत्पादन क्षमताओं के सहारे स्पूतनिक को वैश्विक बाजार तक अधिक रफ्तार से पहुंचाने की है.