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भारत और अमेरिका से मुकाबला करने के लिए चीन में उठी यह अजब मांग, जानें सब कुछ

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चीन भविष्य में भारत और अमेरिका से मुकाबला करने की नई रणनीति पर काम कर रहा है. इसका खुलासा पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (PBOC) के एक वर्किंग पेपर से हुआ है. वर्किंग पेपर में कहा गया है कि चीन को दोनों देशों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए अपनी जनसंख्या दर बढ़ाना चाहिए.
केंद्रीय बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन (China) को अपनी बढ़ती उम्रदराज जनसंख्या की समस्याओं से निपटने जरूरी है. चीन को युवा भारत के साथ आर्थिक रूप से प्रतिस्पर्धा करने के लिए और इमीग्रेशन फ्रेंडली अमेरिका (US) की बराबरी करने के लिए, सभी तरह के जन्म प्रतिबंधों (Birth Restrictions) को हटाना चाहिए. वर्किंग पेपर में कहा गया है कि चीन की जनसंख्या समस्या अन्य देशों की तुलना में खराब है.

सरकार तीन या उससे ज्यादा बच्चों को जन्म देने की अनुमति दे
वर्किंग पेपर में मुख्य रूप से इस बात पर ध्यान केंद्रित किया गया है कि चीन को अपनी बढ़ती आबादी की समस्या से कैसे निपटना चाहिए. चार शोधकर्ताओं की द्वारा तैयार किए गए इस पेपर में भारत और अमेरिका की स्थिति से तुलना में कट्टरपंथी सुझाव है कि सरकार तीन या उससे ज्यादा बच्चों को जन्म देने की अनुमति दे. गौरतलब है कि चीन की जन्म दर पिछले कई सालों से गिर रही है. इसीलिए सरकार ने 1970 के दशक के अंत से 2016 में एक-बच्चे की नीति (One-Child Policy) को आसान बना दिया, जिससे दंपतियों को दो बच्चे पैदा करने की अनुमति मिली.

ढील देने का भी चीन को नहीं हुआ फायदा
हालांकि पॉलिसी में ढील देने का भी कोई फायदा नहीं हुआ. राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार, चीनी मुख्य भूमि (Chinese Mainland) पर जन्म दर 2019 में प्रति 1,000 लोगों पर 10.48 गिर गई, जो सात दशकों में सबसे कम है. रिपोर्ट में कहा गया, “2035 में लॉन्ग टर्म टारगेट को प्राप्त करने के लिए, चीन को पूरी तरह से प्रेगनेंसी को उदार बनाना और प्रोत्साहित करना चाहिए, और गर्भावस्था के दौरान महिलाओं, प्रेगनेंसी और बालवाड़ी और स्कूल रजिस्ट्रेशन के दौरान आने वाली कठिनाइयों को दूर करना चाहिए.”

भारत से अंतर तेजी से कम हो रहा
भारत को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच अंतर कम हो रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की आर्थिक वृद्धि भारत की तुलना में लंबे समय से तेज है, लेकिन हाल के वर्षों में, भारत के देर से लाभ के साथ, चीन के जनसांख्यिकीय लाभांश खत्म हो गया है, भारत की आर्थिक वृद्धि चीन के दृष्टिकोण की तरफ बढ़ गई है.