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MCC ने बांस के बल्ले को खारिज किया, कहा- यह मौजूदा नियम के खिलाफ

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क्रिकेट के नियम बनाने वाली संस्था मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (MCC) ने बांस के बल्ले के इस्तेमाल के आइडिया को खारिज कर दिया है. एमसीसी ने कहा कि खेल को अधिक टिकाउ बनाने के लिए अंग्रेजी विलो के उपयोग के विकल्प पर विचार किया जाना चाहिए. लेकिन बांस का उपयोग करके बल्ले का निर्माण करने के लिए क्रिकेट के मौजूदा कानूनों में एक बदलाव की आवश्यकता होगी. एमसीसी ने कहा है कि इस मामले पर अगली बैठक में चर्चा करेगी.

यॉर्कर पर चौके लगाने में आसानी का दावा

इससे पहले इंग्लैंड के शोधकर्ताओं का दावा है कि बांस के बने बैट विलो को अच्छी टक्कर दे सकते हैं. विलो के मुकाबले बांस के बैट का स्वीट स्पॉट कहीं बेहतर है. स्वीट स्पॉट यानी वह जगह, जहां बॉल लगने के बाद स्पीड से दूर जाती है. इससे बड़े शॉट लगाने में आसानी होगी. यॉर्कर पर भी बल्लेबाज आसानी से चौका लगा सकेंगे. यह रिसर्च कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के डॉ. दर्शिल शाह और बेन टिंकलर डेविस ने की. रिसर्च कहती है कि विलो के मुकाबले बांस सस्ता और 22 फीसदी ज्यादा सख्त है. कैम्ब्रिज सेंटर फॉर नेचुरल मैटीरियल इनोवेशन के डॉ. दर्शिल ने कहा कि बांस के बैट से यॉर्कर पर चौके लगाना कहीं आसान होगा. हमने रिसर्च में पाया है कि विलो के मुकाबले बांस से बने बैट हर तरह के स्ट्रोक के लिए बेस्ट हैं.

कानून बदलना होगा, यह घास का रूप
एमसीसी ने एक बयान में कहा, ‘वर्तमान में कानून 5.3.2 कहता है कि बल्ले के ब्लेड में पूरी तरह से लकड़ी होनी चाहिए. बांस घास का रूप है. बांस को अनुमति देने के लिए कानून को बदलना होगा, भले ही इसे लकड़ी के रूप में मान्यता दी जाए. लेकिन फिर भी यह वर्तमान कानून के तहत अवैध होगा, जो ब्लेड के हटाने पर प्रतिबंध लगाता है.’ बयान में कहा गया कि एमसीसी लगातार कोशिश कर रहा है कि बल्ला अधिक पावरफुल ना हो जाए. इसके लिए 2008 और 2017 में सामग्री और इसके साइज के नियम तय किए गए. नियम के मुताबिक बैट की लंबाई 38 इंच से ज्यादा और चौड़ाई 4.25 इंच से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. वजन 2 से लेकर 3 पौंड तक ही होना चाहिए.

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अगली बैठक में होगी चर्चा

बयान में आगे कहा गया है कि यह वास्तव में क्रिकेट के लिए एक प्रासंगिक विषय है और विलो विकल्प पर भी विचार किया जाना चाहिए. शोधकर्ताओं ने कहा कि बांस का सबसे उपयुक्त प्रकार चीन भर में मिलता है और कम लागत में इसे विलो की जगह विकल्प बन सकता है. एमसीसी ने कहा कि वह अगली लॉ सब कमेटी की बैठक में इस विषय पर चर्चा करेगा.