अप्रैल-मई में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Elections) में पार्टी को मिली हार के बाद भारतीय जनता पार्टी के राज्याध्यक्ष दिलीप घोष (WB BJP Chied Dilip Ghosh) ने इस साल 100 निकायों में होने वाले चुनाव में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) का हराने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है. न्यूज 18 से बात करते हुए घोष ने कहा ‘जी इस साल 100 निकायों पर चुनाव होना है और हम उसके लिए योजना तैयार कर रहे हैं. हमारा बंगाल में अभी अच्छा समर्थन है.2011 में 4 फीसद वोट परसेंट से बढ़कर 2019 लोकसभा चुनाव में हम 40 फीसद वोट परसेंट पर आ गए हैं. हालांकि विधानसभा चुनाव में इसमें थोड़ी गिरावट हुई लेकिन जहां तक निकाय चुनाव की बात है तो हमने कोई उम्मीद नहीं हारी है. ’
107 नगर निकाय सीटों पर चुनाव होना रुका हुआ है, इस चुनाव को विधानसभा से पहले ही हो जाना था, लेकिन घोष के मुताबिक टीएमसी ने घबराहट में निकाय चुनावों को रोक दिया क्योंकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जानती थी कि अगर ऐसी हुआ तो उन्हें बहुत करारी हार का सामना कर पड़ सकता है. 2 मई को विधानसभा चुनावों के नतीजे सामने आने पर भगवा पार्टी 77 सीटों पर ही सिमट कर रह गई थी जबकि उनके कद्दावर नेताओं ने चुनाव रैलियों में 200 से ज्यादा सीट मिलने का दावा किया था. वहीं टीएमसी ने 292 में से 213 सीट हासिल करके सभी का सूपड़ा साफ कर दिया था. फिलहाल राजनीतिक हालात भाजपा का साथ देते नहीं दिख रहे हैं. घोष ने पार्टी कार्यकर्ताओं से सभी 107 नगरपरिषद में लोगों से संपर्क साधने को कहा है. पार्टी विशेषतौर पर कोलकाता नगर निगम (केएमसी) क्षेत्र के 140 वार्ड पर ध्यान दे रहे हैं.
निकाय चुनाव से पहले भाजपा के कई नेताओं का टीएमसी खेमें में जाने की खबर के बाद खुद को खड़ा रख पाना कितना मुश्किल होगा, ये पूछे जाने पर घोष का कहना है ‘बंगाल में हर चुनाव मुश्किल होता है इसलिए हम निकाय चुनाव को हल्के में नहीं ले रहे हैं. हम देख चुके हैं कि कई ग्राम पंचायत सीटों को जीतने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने हमारे नेताओं को पंचायत में काम नहीं करने दिया’. जीतने वाले प्रत्याशियों पर हमला किया गया उनकी हत्या की गई. उन्हें दूसरे राज्यों में शरण लेने को मजबूर होना पड़ा. यही नहीं टीएमसी नेताओं ने हमें पंचायत चुनावके दौरान नोमिनेशन भी दाखिल नहीं करने दिया था. ये वो चुनौतिया हैं जिनका सामनी हमें निकाय चुनाव के दौरान भी करना पड़ सकता है.जहां तक भाजपा नेताओं का टीएमसी में शामिल होने का सवाल है मुझे इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करनी है. राजनीति में ऐसा होना आम बात है. लोग आते और जाते रहते हैं. पर मुझे भरोसा है कि हमारे भाजपा के पुराना साथी हमारे साथ ही हैं और वो पार्टी को आगे ले जाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.
भाजपा ने टीएमसी पार्षदों की असफलताओं का रिपोर्ट कार्ड बनाना भी शुरू कर दिया है जिसमें कोलकाता में डेंगू के बेकाबू हालत, नगर निगर के स्कूलों का बेकार इन्फ्रास्ट्रक्चर और लचर स्वास्थ्य केंद्र और स्वच्छता पर की गई कोताही के बारे में बताया जाएगा.
भाजपा ने दर्ज की मजबूत उपस्थिति
2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा बंगाल में 42 में से 18 सीट हासिल करके सब को चौंका दिया था. पिछले पांच सालों में भगवा पार्टी ने पश्चिम बंगाल में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है. यही नहीं दिलीप घोष के नेतृत्व में कोलकाता निगर निगम चुनाव में 144 सीटों में 51 सीट हासिल करके भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की थी.
विधानसभा में हुई वोटिंग के आधार पर भाजपा का आकलन है कि दक्षिण और उत्तर कोलकाता में पार्टी करीब 26 वार्ड पर जीत हासिल कर सकती है. इसमें वार्ड नंबर 82 यानि चेतला जहां से मेयर फरहाद हाकिम हैं वो भी शामिल है.
कुछ ऐसे रहे हैं पिछले चुनावों के आंकड़े
जनवरी 2011 में हाकिम चेतला ने 76.82 फीसद वोटों से जीत हासिल की थी. वहीं 2010 में वह इसी वार्ड से करीब 72 फीसद वोट के साथ जीते थे. भाजपा के जिबन को उन्होंने विशाल अंतर से हराया था. और जिबन को महज़ 11.95 फीसद वोटों से ही संतोष करना पड़ा था. लेकिन लोकसभा चुनाव में हाकिम की पार्टी से माला रॉय जो कोलकाता दक्षिण से प्रत्याशी थी वो चेतला क्षेत्र से केवल 1000 वोट से ही जीत हासिल कर पाईं थी.
यही नहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खुद के वार्ड नंबर 73 में 2018 के चुनाव में भाजपा 490 वोट से आगे निकल गई थी. इसी तरह के रुझान 58, 85,93 वार्ड में भी देखने को मिले थे. जहां के टीएमसी नेता अपना वर्चस्व कायम रखने में नाकाम रहे थे.
2015 में 144 वार्ड में हुए चुनावों में तृणमूल ने 11, वाम दल ने 15 वहीं भाजपा और कांग्रेस ने 5 और 7 सीट पर जीत हासिल की थी. बाकी की 91 सीटों पर चुनाव रोक दिया गया था जिसमें से 71 सीट पर बाद में टीएमसी ने जीत हासिल कर ली थी.
राज्य चुनाव आयोग ने एक निकाय चुनाव में आरक्षण की एक सूची तैयार की है जो बताती है कि चार मेयर, स्वप्न समद्दर ( पर्यावरण और बस्ती विकास), रतन दे (सड़क), बैस्वानून चटर्जी ( गृहनिर्माण), और देबब्रत मजूमदार (ठोस कचरा प्रबंधन) और केएमसी के दो नगर अध्यक्ष वॉर्ड के चुनाव में भाग नहीं ले पाएंगे.
राज्य चुनाव आयोग के ड्राफ्त के मुताबिक केएमसी के 144 वार्ड में से आठ अनुसूचित जाति जिसमें तीन महिला अनुसूचित जाति भी शामिल हैं. 45 वार्ड सामान्य श्रेणी की महिलाओं के लिए आरक्षित की गई है. अक्टूबर 2020 में भाजपा ने पश्चिम बंगाल सरकार पर जानबूझ कर निकाय चुनाव में देरी करने का आरोप लगाया था. इस मुद्दे पर कोलकाता हाइकोर्ट ने भी संज्ञान लेते हुए कहा था कि चुनाव जितनी जल्दी संभव हो करवाना चाहिए.