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विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी की अगुवाई में सीएम से मिले संसदीय सचिव, पदोन्नति में एससी, एसटी और ओबीसी का आरक्षण लागू करने की मांग

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छत्तीसगढ़ में पदोन्नति में आरक्षण का मुद्दा फिर गरमाने वाला है। विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज सिंह मंडावी ने बुधवार रात कुछ संसदीय सचिवों के एक प्रतिनिधि मंडल के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने एससी, एसटी और ओबीसी वर्गों के लिए पदोन्नति में आरक्षण देने की मांग रखी। इस प्रतिनिधिमंडल में शिशुपाल शोरी, इन्द्रशाह मंडावी, चन्द्रदेव प्रसाद राय और गुरुदयाल सिंह बंजारे शामिल थे।

दरअसल छत्तीसगढ़ में पदोन्नति में आरक्षण का मसला विवादित होता जा रहा है। फरवरी 2019 में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान करने वाली छत्तीसगढ़ लोकसेवा पदोन्नति नियम की धारा 5 को खारिज कर दिया था। इसके लिए अदालत ने जरनैल सिंह और एम. नागराज जैसे सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों को आधार बनाया। उच्च न्यायालय ने सरकार को एम. नागराज फैसले में दिए फ्रेमवर्क के आधार पर नया नियम बनाने का अवसर दिया था। सरकार ने वैसा नहीं किया। अक्टूबर 2019 में एक नई अधिसूचना जारी कर अनुसूचित जाति को 12 की जगह 13 प्रतिशत आरक्षण दे दिया। इस अधिसूचना को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। दिसम्बर 2019 में इस अधिसूचना पर रोक लगा दी गई। इसकी वजह से पदोन्नतियों पर पूरी तरह रोक लग गई। बाद में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह रोक सामान्य पदोन्नतियों पर नहीं है। पदोन्नति में आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता। उसके बाद से यह मामला न्यायालय में चल रहा है। संकेत मिले हैं कि सरकार जल्दी ही अदालत में आरक्षण के बचाव के सभी तथ्य और तर्क रखने वाली है।

क्या कहता है एम. नागराज फैसले का फ्रेमवर्क

इस ऐतिहासिक फैसले के मुताबिक पदोन्नति में आरक्षण देने से पहले छह शर्तों का पूरा होना जरूरी है। पहला, सरकार को मात्रात्मक आंकड़े जुटाकर साबित करना होगा कि एससी-एसटी वर्ग पर्याप्त पिछड़ा है। दूसरा, संवर्ग विशेष में एससी-एसटी समुदाय के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाने होंगे। तीसरा, पदोन्नति में आरक्षण से कार्यकुशलता पर फर्क नहीं पड़ने की घोषणा करनी होगी। चौथा, आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत से कम रखनी होगी। पांचवा, एससी-एसटी से क्रीमिलेयर को अलग करना होगा और छठा, बैकलाग को अनिश्चितकाल तक विस्तारित न करने की घोषणा करनी होगी।

मनोज पिंगुआ की अध्यक्षता में बनी समिति, जुटाया डेटा

उच्च न्यायालय में कई बार फजीहत झेलने के बाद जुलाई 2020 में राज्य सरकार ने उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार पिंगुआ की अध्यक्षता में एक समिति बनाई। इसमें सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव डीडी सिंह, डॉ. कमलप्रीत सिंह, आदिवासी विकास विभाग की संचालक शम्मी आबिदी और आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के अधिकारी डॉ. अनिल कुमार विरुलकर को भी शामिल किया गया। इस समिति ने सरकारी सेवा में एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग के मात्रात्मक आंकड़े जुटाए हैं। बताया जा रहा है कि जल्दी ही अंतिम आंकड़े अदालत में पेश किए जाएंगे।