कोरोना वायरस (Covid-19) से एक बार संक्रमित होने के बाद आम तौर पर किसी को भी करीब 3 महीने तक दोबारा संक्रमण नहीं होता है. डॉक्टरों के मुताबिक, कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों में वायरस से लड़ने के लिए शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है, लेकिन अहमदाबाद से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. एक शख्स को मुश्किल से 30 दिनों के बाद ही दोबारा कोविड-19 संक्रमण हो गया. इस केस से खुद डॉक्टर भी हैरान हैं. आखिर ऐसा क्यों हुआ इसको लेकर गुजरात में विज्ञानिकों ने एक रिसर्च भी किया है, लेकिन रिसर्च के नतीजे जानने से पहले आपको ये बताते हैं कि आखिर जिस शख्स को कोरोना का दोबारा संक्रमण हुआ उसकी हालत अब कैसी है.
हमदाबाद में चीफ फायर ऑफिसर के तौर पर काम करने वाले राजेश भट्ट कोरोना की दूसरी लहर के दौरान संक्रमित हो गए. उनकी हालत गंभीर नहीं थी. लिहाजा वो घर में ही क्वारंटीन रहे और ठीक हो गए. लेकिन एक महीने के बाद ही कोरोना वायरस ने उन पर दोबारा हमला कर दिया. इस बार ये हमला पहले के मुकाबले बेहद घातक था. भट्ट को 13 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा. अब वो ठीक हो गए हैं, लेकिन इस केस ने अहमदाबाद के लोगों को हैरान कर दिया है.
केस को लेकर हुआ रिसर्च
आमतौर पर अगर किसी को कोरोना का दोबारा संक्रमण होता भी है तो वो काफी हल्का होता है और मरीज को अस्पताल जाने की नौबत नहीं आती है, लेकिन राजेश भट्ट का केस बिल्कुल अलग है. पहली बार में संक्रमण हल्का था और दूसरी दफा बेहद गंभीर. लिहाजा इस केस को ध्यान में रखते हुए गुजरात बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर में एक स्टडी की गई.
रिसर्च के नतीजे
बता दें कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान B.1.617.2 वेरिएंट ने भयंकर तबाही मचाई. अब इसे डेल्टा के नाम से जाना जाता है. रिसर्च में पता चला कि इस वेरिएंट ने अपना रूप बदल लिया. इसमें से दो एमिनो एसिड गायब थे. लिहाजा वेरिएंट में आए बदलाव के चलते ये एंटीबॉडी को चकमा देने में कामयाब रहा. अब वैज्ञानिकों ने कहा है कि वायरस के बदलते रंग को पकड़े के लिए ज्यादा से ज्यादा जिनोम सिक्वंसिंग की जरूरत हैं.