अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को 2019 में रद्द किये जाने के बाद से पाकिस्तान से लगी संवेदनशील सीमा पर 300 से अधिक ड्रोन और अज्ञात उड़न वस्तुएं (यूएवी) देखी गई हैं. केंद्रीय एजेंसियों ने यह दावा किया है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इन्हें रोकने के लिए एक उपयुक्त प्रौद्योगिकी हासिल करने में उन्हें मशक्कत करनी पड़ रही है. अधिकारियों ने कहा कि कई सीमा सुरक्षा एजेंसियां पश्चिमी सीमा पर घने जंगलों, मरूस्थल और दलदली क्षेत्रों में स्वदेश निर्मित ड्रोन रोधी कुछ प्रौद्योगिकी की जांच भी कर रही हैं, लेकिन अब तक थोड़ी सफलता ही मिली है.
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और विभिन्न पुलिस इकाइयों की सीमावर्ती इकाइयों ने 3,323 किमी लंबी सीमा पर ड्रोन, अज्ञात उड़न वस्तुएं या दूर से संचालित वायुयान हवा में दिखने पर ‘देखो और मार गिराओ’ की एक मानक संचालन प्रक्रिया अपना रखी है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा, ‘‘दुश्मन ड्रोन को मार गिराने की मौजूदा प्रणाली यह है कि सुरक्षा प्रहरी को जमीन पर सतर्क रहना होगा और ड्रोन के दिखते ही उसे इंसास राइफल जैसे हथियार से मार गिराना होगा या काबू में करना होगा.
केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा संकलित किये गये और सरकार के साथ साझा किये गये आंकड़ों में कहा गया है, ‘‘बीएसएफ और अन्य पुलिस इकाइयों ने पांच अगस्त 2019 से 300 से अधिक ऐसी घटनाएं दर्ज कीं.’’ गौरतलब है कि पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को रद्द कर दिया गया था और पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर और लद्दाख– के रूप में विभाजित कर दिया गया था.
आंकड़ों के मुताबिक पश्चिमी सीमा (मुख्य रूप से जम्मू और पंजाब) पर 2019 में 167, पिछले साल 77 और इस साल अब तक करीब 66 बार ड्रोन देखे गये हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि किसी सैन्य प्रतिष्ठान या परिसर को सुरक्षित करने के लिए अभी एक वृत्ताकार ड्रोन रोधी सुरक्षा प्रणाली उपलब्ध है.उन्होंने कहा कि सीमा सुरक्षा के लिए एकरेखीय सुरक्षा घेरा की जरूरत है.
गौरतलब है कि जम्मू में उच्च सुरक्षा वाले हवाई अड्डा परिसर स्थित वायुसेना स्टेशन में शनिवार देर रात ड्रोन का इस्तेमाल करते हुए दो बम गिराये गए थे. इस तरह, पाकिस्तानी आतंकवादियों ने महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के लिए पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल कियाl