जल शक्ति मंत्रालय ने मंगलवार को गंगा नदी बेसिन के एक हिमनद की झीलों के एटलस का विमोचन किया है। इस एटलस में हिमालय क्षेत्र में जल निकायों में हो रहे बदलाव का विश्लेषण करके जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का विश्लेषण और आपदाओं को कम करने के लिए कार्य योजनाओं को अंजाम देने के लिए उपयोग में लाया जा सकेगा।
जल शक्ति मंत्रालय के सचिव पंकज कुमार द्वारा जारी हिमनद झील एटलस में गंगा नदी बेसिन के हिस्से में अपने मूल से हिमालय की तलहटी तक 2,47,109 वर्ग किलोमीटर के जल ग्रहण क्षेत्र को सूचीबद्ध कर इस मानचित्र पर चित्रित करता है। इसमें 4,707 हिमनद झीलों का चित्रण किया गया है।
इसमें कुल 20,685 हेक्टेयर झीलों का जल प्रसार क्षेत्र कवर होता है, इसमें गंगा नदी बेसिन के अध्ययन भाग में भारत और उसके सटे हुए सीमावर्ती देशों के क्षेत्र का हिस्सा भी शामिल है। इस नक्शे को इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर भुवन पोर्टल पर भी उपलब्ध कराया गया है।
इस एटलस की मदद से गंगा नदी बेसिन के हिमनदों के प्रमाणिक डाटाबेस भी उपलब्ध हो सकेंगे। इसके अलावा इसका उपयोग कर उनके पीछे हटने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव अध्ययनों के लिए ग्लेशियर जानकारी के संयोजन के साथ भी किया जा सकता है।