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10 फीसद से ज्यादा संक्रमण वाले जिलों में सख्त पाबंदियां लगाएं, केंद्र का पत्र

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कोरोना महामारी (Corona Epidemic) की कहर बरपा चुकी दूसरी लहर में सुधार के संकेतों के बीच केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों केंद्र शासित प्रदेशों को तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर अत्यधिक सावधान रहने को कहा है. राजस्थान, त्रिपुरा, असम, केरल बंगाल समेत 14 राज्यों को लिखे पत्र में केंद्र ने कहा है कि जिन जिलों में 21-27 जून के बीच कोरोना संक्रमण की दर 10 फीसद से ज्यादा थी, वहां रोकथाम के उपायों (Corona Guidelines) को सख्ती के साथ लागू किया जाए. यह पत्र केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण की ओर से जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि मामलों में कमी आने के साथ ही निगरानी बढ़ाना जरूरी है. उन्होंने जिला तहसील स्तर पर निगरानी बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया है. साथ ही नए मामलों वाले क्षेत्रों की पहचान करने के लिए जिला नोडल अधिकारी जिलाधिकारी/ नगर आयुक्त के साथ मिलकर काम करने के निर्देश भी दिए हैं.

पाबंदियों में ढील दें सोच-समझ कर
भूषण ने 29 जून को लिखे पत्र में कहा है कि हालात सुधरने के साथ ही प्रतिबंधों को उठाया जा रहा है उनमें छूट दी जा रही है, लेकिन इसका फैसला बहुत ही सोच समझकर, सावधानीपूर्वक परिस्थितियों का अध्ययन करने के बाद किया जाना चाहिए. भूषण ने उपरोक्त राज्यों के अलावा मणिपुर, सिक्किम, पुडुचेरी, ओडिशा, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश हिमाचल प्रदेश को भी पत्र लिखा है. भूषण ने अपने पत्र में गृह मंत्रालय के 29 अप्रैल के आदेश का भी जिक्र किया है, जिसमें कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सभी राज्यों से सख्त उपाय करने को कहा गया था. भूषण ने कहा है कि ज्यादा संक्रमण दर वाले जिलों में हालात में सुधार करने के लिए सख्त उपाय किए जाने जरूरी हैं. उन्होंने संबंधित राज्यों में 10 फीसद से ज्यादा संक्रमण दर वाले जिलों का भी जिक्र किया है.

सक्रिय मामले साढ़े पांच लाख से नीचे
भूषण ने कहा कि जो जिला प्रशासन संक्रमण दर को देखते हुए पाबंदियां लगाने का फैसला करता है, तो उसे 14 दिनों तक प्रभावी रखा जाए. जिले के जो इलाके कंटेनमेंट जोन में नहीं हों, वहां प्रतिबंधों में छूट दी जा सकती है या पाबंदियों को हटाया जा सकता है. इस बीच कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत की स्थिति लगातार बेहतर हो रही है. संक्रमण के नए मामले कम हो रहे हैं ज्यादा मरीज ठीक हो रहे हैं. इसके परिणामस्वरूप सक्रिय मामलों में लगातार गिरावट आ रही है इनकी संख्या साढ़े पांच लाख से नीचे आ गई है.