पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव भले ही सम्पन्न हो गए हैं लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी के बीच खींचतान अभी खत्म नहीं हुई है। दोनों एक दूसरे के खिलाफ कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते। इस बीच शुभेन्दु ने एक और दावा किया है।
विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु कहा है कि ममता बनर्जी 10 सीटों वाली दो इंजन की एयरक्राफ्ट किराये पर लेने के लिए निविदा जारी है, ताकि वह लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार कर सके। शुभेंदु अधिकारी ने पश्चिम बंगाल सरकार के परिवहन विभाग का एक दस्तावेज जारी किया है, जिसमें न्यूनतम 3 साल से 5 साल के कार्यकाल के लिए 10 सीटों की दो इंजन की एयरक्राफ्ट को किराए पर लेने की बात कही गई है।
शुभेंदु अधिकारी ने प्रश्न उठाया कि राज्य सरकार को अचानक एयरक्राफ्ट की क्या आवश्यकता पड़ गई? साथ ही उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि क्या यह आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान देश घूमने के लिए है? पुष्पक रथ (स्वघोषित) प्रधानमंत्री के लिए?
अधिकारी ने लिखा लिखा कि हेलीकॉप्टर से असंतुष्ट हो 10 सीटों वाली एयरक्राफ्ट हासिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सरकारी खर्च पर लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार किए जाएंगे? यह कल्पना का हवाई जहाज है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘फर्जी अधिकारी द्वारा करवाए गए नकली टीकाकरण से त्रस्त राज्य की प्रमुख अब एक भ्रम की उड़ान चाहती हैं।’
वहीं इससे पहले विधानसभा चुनावों में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने के बाद टीएमसी में शामिल हुए मुकुल राय को पश्चिम बंगाल विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) का अध्यक्ष बनाने को लेकर राज्य में संवैधानिक संकट मच गया। तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी मुकुल राय को अध्यक्ष बनाने की जिद पर हैं, वहीं भाजपा का कहना है कि यह पद परंपरागत रूप से केवल विपक्ष को ही मिलना चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय को उनके नामांकन पर भाजपा के विरोध के बावजूद शुक्रवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा की लोक लेखा समिति पीएसी का निर्विरोध सदस्य चुना गया। जिसके बाद भाजपा विधायक दल के नेता शुभेंदु अधिकारी ने इसे अनैतिक कदम बताया है। उनका कहना है कि उन्होंने पहले ही दलबदल विरोधी कानून के अंतर्गत मुकुल राय की सदस्यता खारिज करने का पत्र विधानसभा अध्यक्ष को दे दिया था।
टीएमसी का कहना है कि किसी भी कमेटी के अध्यक्ष की नियुक्ति विधानसभा अध्यक्ष करता है। अब उसकी मरजी वह किसी को भी चुन सकता है। उनके विशेषाधिकार को किसी प्रकार से भी चुनौती नहीं दी जा सकती है।