इंग्लैंड फुटबॉल टीम यूरो कप के फाइनल में पहुंच गई है। डेनमार्क के खिलाफ इंग्लैंड ने 2-1 से जीत दर्ज कर फाइनल का टिकट कटाया। फुटबॉल जैसे खूबसूरत खेल को जन्म देने का दावा करने वाला देश होने के बावजूद इंग्लैंड कभी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर सका। इंग्लैंड को फैन्स का सपोर्ट खूब मिला है, लेकिन टीम बड़े टूर्नामेंट में अपना कमाल नहीं दिखा पाई है। इस बार मेजबान टीम के पास सुनहरा मौका है, पिछले 55 साल से नासूर बनते जा रहे हर जख्म पर यूरो फाइनल में जीत के साथ मरहम लगाने का।
फाइनल से पहले उसके हर फैन की जुबां पर टीम का एंथम है ‘फुटबॉल इज कमिंग होम।’ उनके इस सपने को सच में बदलने के लिs इंग्लैंड के खिलाड़ियों को इटैलियन डिफेंस में सेंध लगानी होगी, जो इतना आसान नहीं है। फुटबॉल की ही तरह क्रिकेट के जनक इस देश ने दो साल पहले वर्ल्ड कप जीतकर खिताब का सूखा दूर किया। अब इंग्लैंड के स्पोर्ट्स फैन्स को फुटबॉल में उसी कहानी के दोहराने का इंतजार है। इटली और इंग्लैंड का सामना रविवार को वेम्बले स्टेडियम पर होगा। इंग्लैंड ने आखिरी बार 1966 में वर्ल्ड कप जीता था । उसका सामना ऐसी टीम से है जिसे पिछले 33 मैचों में कोई हरा नहीं सका है।
पिछले 55 साल में इंग्लैंड ने 26 वर्ल्ड कप और यूरो चैम्पियनशिप देखी, जिनमें से सात में तो वे क्वालीफाई नहीं कर सके। डेनमार्क और यूनान जैसे छोटे देश भी खिताब जीतने में कामयाब रहे लेकिन इंग्लैंड को नाकामी ही नसीब हुई। सेमीफाइनल में डेनमार्क को हराकर इंग्लैंड ने खिताब की ओर कदम रख दिया । कोच जेरेथ साउथगेट ने कहा, ‘हमारे लिए यह शानदार पल है। इसका पूरा मजा लेना चाहिए।’
जर्मनी के खिलाफ यूरो 1996 सेमीफाइनल में निर्णायक पेनल्टी चूकने वाले साउथगेट कोच के तौर पर उस मलाल को मिटाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह सफर कांटों से भरा रहा लेकिन आखिर में मेहनत रंग लाsगी । हम फैन्स को, जनता को और अपने देश को गर्वान्वित करने का मौका देंगे।’