धार्मिक नगरी अयोध्या में निषेधाज्ञा लाने की तैयारी की जा रही है. राम जन्मभूमि परिसर के 300 मीटर के दायरे में निषेधाज्ञा लागू होगी. इस दायरे में अलग-अलग तरह के प्रतिबंध लागू किए जाएंगे. प्रतिबंधों को क्रियान्वित कराने की जिम्मेदारी जिला मजिस्ट्रेट से लेकर कई अधिकारियों और एजेंसियों की होगी. योजना को अंतिम रूप देने के लिए कमेटी के गठन के बाद बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया है. मंजूरी के लिए प्रस्ताव को शासन के पास भेजा जा रहा है.
राम जन्मभूमि परिसर में निषेधाज्ञा लागू होते ही परिसर के बाहर 100 मीटर की दूरी पर किसी भी प्रकार के नए निर्माण अनुमति नहीं होगी. 100 मीटर के बाद अलग 200 मीटर तक के क्षेत्र को भी निषेधाज्ञा के दायरे में लाकर नियंत्रित क्षेत्र घोषित किया जाएगा. निषेधाज्ञा का क्षेत्र 300 मीटर तक होगा. नियंत्रित क्षेत्र में 12.5 मीटर से ज्यादा ऊंचे मकान नहीं बनाए जा सकेंगे. निषेधाज्ञा लाने के पीछे मंदिर की सुरक्षा को आधार बनाया गया है. राम जन्मभूमि परिसर के विस्तार के बाद ही दूरी के मानक तय किए जाएंगे.
राष्ट्रीय स्मारक के तौर विकसित करने का लक्ष्य
दरअसल, सरकार की मंशा श्री रामजन्मभूमि मंदिर को राष्ट्रीय स्मारक के तौर पर विकसित करने की है. यही वजह है कि इसकी सुरक्षा के लिए सरकार निषेधाज्ञा लागू कर रही है. अयोध्या विकास प्राधिकरण की पूर्ण बैठक में निर्णय लेने के बाद कमेटी का गठन भी इस दिशा में हो चुका है.
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राम मंदिर ट्रस्ट से मांगा गया प्लान!
इस कमेटी में सुरक्षा और अभियोजन से लेकर अयोध्या विकास प्राधिकरण और राजस्व विभाग तक के लोग शामिल हैं. यही नहीं इसके मानकों पर मंथन के लिए देश में बनाए गए मानकों का अध्ययन भी किया गया है. राम मंदिर ट्रस्ट से रामजन्मभूमि परिसर का प्लान भी मांगा गया है. गौरतलब है कि निषेधाज्ञा का प्रभाव सिर्फ नए निर्माण तक ही नहीं होगा बल्कि निर्मित मकानों की सजावट या मरम्मत जैसे कार्यों के लिए भी जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति अनिवार्य होगी.