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सरकारी स्कूल के शिक्षक ने माध्यमिक शिक्षा मंडल का नंबर गूगल से सर्च किया; फोन लगाने पर ठगों ने उठाया और ऑनलाइन ट्रांसफर कर लिए रुपए

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ठगों ने एक सरकारी शिक्षक को अपना शिकार बनाया है। इस बार मस्तूरी निवासी एक शिक्षक के साथ शिक्षा मंडल रायपुर के नाम पर 40 हजार रुपए ठग लिए गए। शिक्षक ने एक स्कूली छात्र के माइग्रेशन सर्टिफिकेट के लिए 100 रुपए जमा किए थे,जिसके बाद उन्होंने गूगल से शिक्षा मंडल रायपुर का नंबर निकाल कर कॉल कर दिया। उस नंबर पर कॉल करते ही उनके खाते से 40 हजार रुपए पार कर दिए गए। अपनी शिकायत में उन्होंने पुलिस के को बताया कि , एक छात्र का माइग्रेशन सर्टिफिकेट बनवाने के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल रायपुर के खाते में 100 रुपए शुल्क ऑनलाइन जमा किए थे। लेकिन ट्रांजेक्शन फेल हो गया, जिसके बाद उन्होंने गूगल से शिक्षा मंडल का नंबर निकाला और टोल फ्री नंबर पर कॉल कर दिया। उस नंबर पर कॉल करते ही उनसे एक एप डाउनलोड कराया गया ,जिसके बाद उनके खाते से करीब 40 हजार रुपए निकाल लिए गए ।
ठगी के अजब-गजब तरीके अब ऑनलाइन ठग अपनाने लगे है। बिलासपुर के सरकंडा थाना क्षेत्र से भी 10 दिन पहले इंडियन ऑयल कंपनी के रिटायर्ड कर्मचारी के साथ जियो कंपनी का नोडल अधिकारी बन कर ठगों ने 52 लाख रुपयों की ठगी कर ली थी। यह रकम कर्मचारी की जिंदगी भर की कमाई थी जो कि उन्हें रिटायरमेंट पर मिली थी। ठगों ने कर्मचारी से केवाईसी और मोबाइल नोटिफिकेशन पर रोक लगाने का झांसा दिया था, फिर नेटबैंकिग से दो बार 10 रुपए का रिचार्ज कराने के बाद उनका मोबाइल हैक कर लिया और 52 लाख रुपए की आनलाइन ठगी कर ली। 1 जुलाई को उनके मोबाइल में अननोन मोबाइल नम्बर से कॉल आया, फोन करने वाले ने स्वयं को जियो कंपनी का नोडल अधिकारी बताकर उनसे केवाईसी और नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की बात कहीं। उसने सिम चलाने के लिए उन्हें पहले 10 रुपए का रिचार्ज करने कहा।

उसके बाद उन्हें दूसरे बैंक खाते से 10 रुपए का रिचार्ज करने कहा। जिसके बाद उन्होंने अपने बैंक खातों से 10-10 रुपए का रिचार्ज कर दिया। रिचार्ज करते ही ठग ने उनका मोबाइल हैक कर 1 जुलाई से 4 जुलाई तक उनके दोनों बैंक खातों से 52 लाख रुपए ट्रांसफर कर ठगी कर ली। 5 जुलाई को उनके मोबाइल में 52 लाख रुपए ट्रांसफर होने का मैसेज आया तो वे सरकंडा थाने गए और मामले की शिकायत की। जब भी ऐसी ठगी होती है सबसे पहले ठग पीड़ित के खाते से उड़ाए गए पैसों को अलग-अलग राज्यों के बैंकों में ट्रांसफर करते है फिर तुरंत उसे निकाल लिया करते है। ये काम इतनी तेजी से होता है की पुलिस केवल अंतिम बैंक से हुए ट्रांजेक्शन को ही ट्रेस कर पाती है। अलग राज्य का मामला होने से दूसरे राज्य की पुलिस और साइबर टीम से कोऑर्डिनेशन करना पड़ता है