फरीदाबाद – बेघर हुए लोगों के लिए प्रशासन द्वारा राधा स्वामी सत्संग आश्रम में बनाया गया अस्थायी राहत शिविर रात में खाली रहता है, जबकि दिन में लोग इस राहत शिविर में भोजन करते हैं और जहां-तहां आराम भी करते हैं, लेकिन रात में भोजन के बाद खोरी के लोग फिर से अपने मकानों की जगह पर चले जाते हैं। मकान टूटने के बाद भी लोग जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हैं। बेघर हुए लोगों का कहना है कि उन्होंने यह जमीन जीवनभर की पूंजी देकर खरीदी हैं। प्रशासन ने मकान तोड़े हैं, लेकिन वे अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे।
राधा स्वामी सत्संग आश्रम में बनाए गए अस्थायी राहत शिविर के संचालक जिला रेडक्रॉस सोसाइटी के कर्मचारियों ने बताया कि लोगों को समझाया जा रहा है कि वे रात में राहत शिविर में आकर रहें। यहां शौचालय, नहाने और खाने की पूरी व्यवस्था की गई है, लेकिन लोग रात में खाना खाने के बाद शिविर में नहीं रहते हैं। ये अपने मकाने की जगह पर ही पन्नी, प्लास्टिक या तिरपाल लगाकर रात काटते हैं। अधिकांश लोगों ने अपने परिवार तो दूसरी जगह किराये पर शिफ्ट कर दिए हैं, लेकिन एक-दो लोग जमीन पर कब्जाए जमाए हुए हैं।
प्रशासन के लिए चुनौती बना लोगों को खोरी से बाहर करना
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रशासन पूरी तेजी के साथ अवैध मकानों को हटाने जुटा है, लेकिन लोग अपनी जमीन नहीं छोड़ रहे हैं। रात में उसी जमीन पर सोते हैं। ऐसे में प्रशासन के लिए लोगों को खोरी से बाहर करना चुनौती बन गया है। घर टूटने के बाद भी लोग अपने मकान वाली जमीन छोडने को तैयार नहीं हैं। भीषण गर्मी और बारिश से बचने के लिए लोगों ने टेंट लगाने शुरू कर दिए हैं। कुछ लोग पेड़ों की छांव में रह रहे हैं। यहां के लोग रात अपने घर की जमीन या फिर आसपास बिता रहे हैं।
जमीन की कीमत की मांग
पंद्रह साल से खोरी में रहने वाले राकेश कहना है कि उन्होंने अपनी जीवनभर की पूंजी लगाकर मकान बनाया था। करीब दो लाख रुपये में जमीन खरीदी। कई लाख रुपये मकान बनाने में लगा दिए। प्रशासन को भू-माफिया के नाम बता दिए हैं। सरकार जमीन की कीमत दे तो हम चले जाएंगे। प्रशासन ने मकान गिरा दिया। बच्चों को किराये के मकान में लकड़पुर में रखा है, लेकिन जमीन तब तक नहीं छोड़ेंगे, जब तक जमीन की कीमत नहीं मिलेगी। उन्हें पहले नहीं पता था कि उनके साथ धोखा हो रहा है। इसी प्रकार सावित्री अपने बच्चों को लेकर कहीं और जाने को तैयार नहीं है। प्रशासन के कर्मचारी बच्चों को राहत शिविर में ले गए, लेकिन वह अपनी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं है। जिन लोगों के मकान टूटे हैं कमोबेश सभी लोग इसी चिंता में हैं कि अगर जमीन छोंड़ेंगे तो जमीन या पैसा नहीं मिलेगा, इसलिए वो जमीन नहीं छोड़ रहे हैं।
कबाड़ियों को मिल रहा सस्ता सामान
खोरी में मकान टूटने के बाद मलबा और सामान बेचने की दिक्कत के मद्देनजर प्रशासन ने कबाड़ियों को खोरी में आने की अनुमति दी है। अन्यथा खोरी में किसी भी बाहरी व्यक्ति के अंदर आने या खोरी से बाहर जाने पर अघोषित रोक लगाई हुई है। कबाड़ियों को यहां सस्ता सामान मिल रहा है। जो मकान टूट चुके हैं, वहां के दरवाजे, लोहे, खिड़की, फर्नीचर, लकड़ी या ईंट आदि सामान कबाड़ी सस्ते में खरीद रहे हैं। कबाड़ी उस्मान ने बताया कि कई लोगों को समझ नहीं हैं, लेकिन वे तो बाहर बाजार भाव से ही खरीदारी कर रहे हैं। लोग अपने मलबे और सामान का उचित दाम चाहते हैं। इसमें प्रशासनिक कर्मचारी भी लोगों की मदद करने में जुटे हैं।