पश्चिम बंगाल– महिसाणा गांव के निवासी दुलाल चक्रवर्ती व उनके बेटे सोमनाथ दोनों भाजपा के कार्यकर्ता हैं। वे बताते हैं कि 2 मई को विधानसभा चुनाव संपन्न होने के चार दिन बाद ही स्थानीय तृणमूल कार्यकर्ताओं का एक समूह उनके घर पर आया और उन्हें घर से बाहर न निकलने की चेतावनी दे गया। चक्रवर्ती बताते हैं कि उन्हें बाद में पता चला कि टीएमसी के लोगों ने 18 लोगों के बहिष्कार किए जाने की एक सूची जारी कर रखी है। इसमें 16 लोग भाजपा से जुड़े हैं जबकि दो लोग वामपंथी दलों के कार्यकर्ता हैं।
टीएमसी ऐसी किसी सूची के जारी किए जाने से इनकार करती है। पुलिस ने फिलहाल अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। कुछ समय पहले इसी मामले में टीएमसी के चार कार्यकर्ता गिरफ्तार भी किए गए, जो अब जमानत पर बाहर आ चुके हैं। चक्रवर्ती व अन्य लोग अभी भी डर के साये में जी रहे हैं। पुलिस के हस्तक्षेप के बावजूद कई लोगों ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद टीएमसी की ओर से विरोधियों के सामाजिक बहिष्कार किए जाने के मुद्दे भाजपा नेता निर्मला सीतारमण तथा सांसद स्वप्नदास गुप्ता भी उठा चुके हैं। कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर बनी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की जांच कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ कई सख्त टिप्पणियां की हैं।
महिसाणा गांव में बांटी गई बहिष्कार की पर्ची में बंगाली में लिखा गया है कि पार्टी की अनुमति के बिना इन लोगों को कोई भी सामान नहीं बेचा जाएगा। चाय विक्रेताओं को इन्हें दुकान पर चाय न देने को कहा गया। यही नहीं, निर्देश नहीं मानने वालों के खिलाफ कार्रवाई की धमकी भी दी गई। पश्चिमी मेदिनीपुर के पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार कहते हैं, ‘शिकायत की विधिवत जांच कराई गई है। लोगों में भरोसा पैदा करने के लिए पुलिस की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। लोगों से इस तरह की अफवाहों पर ध्यान नहीं देने को कहा गया है तथा अब स्थिति सामान्य है।’
बहिष्कार की धमकी देने के मामले में गिरफ्तार चारों व्यक्तियों के बारे में टीएमसी के ब्लॉक अध्यक्ष उत्तम चंद तिवारी कहते हैं कि वे पार्टी के समर्थक हो सकते हैं लेकिन वे पार्टी के कार्यकर्ता नहीं हैं। इस विधानसभा चुनाव में भी पार्टी के लिए उन्होंने कोई काम नहीं किया था। हमें जैसे इस बारे में पता चला हमने खुद पुलिस को कार्रवाई करने को कहा था।
दुलाल चक्रवर्ती खुद कहते हैं कि उन्होंने स्वयं बहिष्कार संबंधी पर्चे को नहीं देखा था। लेकिन टीएमसी के कुछ लोगों ने चेतावनी देने के कुछ दिन बाद उनके भतीजे सुरजीत की पिटाई कर दी थी। जब हमने केशपुर पुलिस थाने में संपर्क किया तो पुलिस ने हमसे ठीक से बात किया। वे कहते हैं कि महीने भर हमें सोशल बहिष्कार का सामना करना पड़ा। अब स्थिति सामान्य है। लेकिन हम इस तरह का माहौल और नहीं बर्दाश्त कर सकते हैं इसलिए हमने खुद और हमारे बेटे ने भाजपा को छोड़ने का फैसला ले लिया।
कमोबेश इस इलाके में भाजपा से जुड़े दूसरे कार्यकर्ताओं का भी यही हाल है। वे स्थिति सामान्य होने के बावजूद घर से बाहर जाने में अभी डर महसूस करते हैं। वहीं टीएमसी के स्थानीय विधायक सहित अन्य पार्टी नेता इस तरह की किसी भी घटना से इनकार करते हैं।