पेगासस जासूसी कांड को लेकर परतें दिन-ब-दिन खुलती जा रही हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, टीएमसी के अभिषेक बनर्जी और केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के बाद, नवीनतम रिपोर्टों से पता चलता है कि अरविंद केजरीवाल के सहयोगी और एक प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी पेगासस स्पाइवेयर सूची के संभावित जासूसी लक्ष्यों में शामिल थे।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी राजेश्वर सिंह के दो फोन नंबर और उनके परिवार की तीन महिलाओं के नंबर फ्रांस की नॉन प्रॉफिट फॉरबिडन द्वारा एक्सेस किए गए डाटाबेस पर मिले हैं, जिन्हें उन्होंने द वायर, वाशिंगटन पोस्ट और अन्य मीडिया संस्थानों से शेयर किया है।
इसके साथ ही दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक के रूप में काम कर चुके पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी वीके जैन भी पेगासस के निशाने पर थे। साथ ही लीक हुए रिकॉर्ड में पीएमओ और नीति आयोग में काम करने वाले कम से कम एक-एक अधिकारी के नंबर भी इसमें मिले हैं।
गौरतलब है कि आरोप लगाए जा रहे है कि पेगासस स्पाइवेयर के जरिए दुनियाभर में लोगों की जासूसी कराई गई। द गार्डियन, वाशिंगटन पोस्ट, द वायर सहित दुनियाभर के कई मीडिया संस्थानों ने पेगासस स्पाईवेयर के बारे में खुलासा किया है।
पेगासस जासूसी के आरोपों पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा था कि सरकार को जेपीसी बनानी चाहिए या सुप्रीम कोर्ट से जांच के लिए मौजूदा जज नियुक्त करने का अनुरोध करना चाहिए। कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पेगासस मुद्दे पर संसद में बयान देना चाहिए, उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि क्या जासूसी की गई थी? कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति द्वारा जांच की तुलना में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा जांच अधिक प्रभावी हो सकती है। उन्होंने कहा कि अगर फ्रांस, इजराइल पेगासस जासूसी मामले की जांच के आदेश दे सकते हैं तो भारत क्यों नहीं?
उधर, शिवसेना सांसद संजय राउत ने रविवार को पूछा था कि पेगासस द्वारा नेताओं और पत्रकारों की कथित जासूसी का वित्तपोषण किसने किया? उन्होंने इसकी तुलना हिरोशिमा परमाणु बम हमले से करते हुए कहा कि जापान के इस शहर पर हमले से लोगों की मौतें हुईं तो वहीं इजराइली सॉफ़्टवेयर की जासूसी से ‘स्वतंत्रता की मौत’ हुई। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के अपने साप्ताहिक स्तंभ ‘रोखठोक’ में राउत ने यह बात लिखी।