कोरोना पॉजिटिव (प्रतीकात्मक फोटो)कोरोना पॉजिटिव (प्रतीकात्मक फोटो)
जिले में कोरोना के केस बेहद कम हैं मगर पॉजिटिव आने के बाद लोगों के मोबाइल का स्वीच ऑफ होना कांटेक्ट ट्रेसिंग में लगी टीम के लिए परेशानी का कारण बन रहा है। संपर्क नहीं होने की स्थिति में ऐसे लोगों की जानकारी नहीं मिल पा रही है और अभियान अधूरा हो रहा है। इसके साथ कई नंबरों पर जवाब नहीं देने की समस्या भी सामने आ रही है।
किसी संक्रमित ने कोरोना स्प्रेडर की भूमिका तो नहीं निभाया है इसके लिए रिपोर्ट पॉजिटिव आने वालों की कांटेक्ट ट्रेसिंग की जा रही है। इसके लिए रायपुर जिले में बनाई गई टीम सीएमएचओ कार्यालय से रोजाना मिलने वाली पॉजिटिव रिपोर्ट के आधार पर संक्रमित शख्स से संपर्क कर जानकारी एकत्रित कर रही है। संबंधित टीम को शुरुआत से ही लोगों से अच्छा रिस्पांस नहीं मिल रहा है। जिसकी वजह से इसका उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है।
कोरोना पॉजिटिव लिस्ट में ज्यादातर शामिल लोगों के नाम के साथ लिखा मोबाइल नंबर गलत होता है। इसके साथ ही दूसरी समस्या पॉजिटिव आने के बाद मोबाइल का स्वीच ऑफ होना आ रहा है। तीसरी समस्या निर्धारित नंबर पर कॉल करने के दौरान उसे अटेंड नहीं करना होता है। सूत्रोें के मुताबिक इस तरह की समस्या की वजह से कांटेक्ट ट्रेसिंग का काम पचास फीसदी ही पूरा हो पा रहा है। संक्रमित होने की वजह पता नहीं चलने की वजह उनके संपर्क में आने वालों की पहचान नहीं हो पा रही है।
ट्रैवल हिस्ट्री अधिक
वर्तमान में जिन केस में कांट्रेक्ट ट्रेसिंग का काम पूरा किया जा रहा है उसमें ज्यादातर लोग पॉजिटिव होने से पहले दूसरे शहरों से घूमकर वापस लौटने वाले हैं। इसके साथ ही 25 फीसदी केस संक्रमित के सीधे संपर्क में आने वालों की है। बाजार अथवा किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में घूमने की वजह से कोरोना का शिकार होने के मामले एकाध ही सामने आया है।
पंद्रह दिन पहले हुआ था आदेश
समीक्षा बैठक में इस तरह की जानकारी आने के बाद कोरोना संक्रमितों की जानकारी छुपाने अथवा कांटेक्ट ट्रेसिंग में सहयोग नहीं करने के मामले में जिला प्रशासन द्वारा एफआईआर करने के आदेश हुआ था। इसके लिए नोडल अधिकारी बनाए एनके सिन्हा ने बताया कि अब तक किसी तरह की गलत जानकारी देने का एक भी मामला सामने नहीं आया है।