भारत में कोरोना के मामलों में आई गिरावट के बाद अब धीरे-धीरे फिर से कोरोना के मामले (Corona Cases) बढ़ना शुरू हो गए हैं. पिछले दिनों में 40 हजार कोरोना के नए मरीजों की संख्या अब रोजाना 42 हजार से ऊपर पहुंच गई है. पिछले चौबीस घंटों में ही देश में 43 हजार से ज्यादा कोविड के नए केस सामने आए हैं. लिहाजा देश में तीसरी लहर के दस्तक देने की सुगबुगाहट भी तेज हो गई है.
कोरोना के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए लोगों में ये डर पैदा हो गया है कि कोरोना की तीसरी लहर (Corona Third wave) आना शुरू हो रही है. कुछ महीने पहले जुलाई और अगस्त में कोरोना की तीसरी लहर आने की बात विशेषज्ञों की ओर से की गई थी जिसके बाद अब मामलों के बढ़ने से नई लहर की शंका पैदा हो गई है. हालांकि विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना की तीसरी लहर के लिए देश में एक निश्चित संख्या में मरीजों का सामने आना जरूरी है.
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्र ने न्यूज18 हिंदी से बातचीत में बताया कि मामले बढ़ने के बाद कुछ लोगों की ओर से कहा जा रहा है कि भारत में तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि मामले लगातार घटने के बाद फिर बढ़ना शुरू हुए हैं हालांकि वैज्ञानिक रूप से ऐसा कहना सही नहीं है. मामलों में थोड़ी-बहुत घट-बढ़ हो सकती है.
दूसरी लहर के सर्वोच्च केस के एक तिहाई मामले आना जरूरी
डॉ. मिश्र कहते हैं कि देश में कोविड की तीसरी लहर की पुष्टि तब तक नहीं की जा सकती जब तक कि पिछली यानि की कोविड की दूसरी लहर के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचे कुल मामलों के एक तिहाई कोरोना केस भारत में नहीं आ जाते. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि भारत में मार्च 2021 के बाद दूसरी लहर शुरू हुई. इस दौरान कोरोना के सबसे ज्यादा एक दिन में चार से सवा चार लाख केस रोजाना आए. यह दूसरी लहर की सर्वोच्च संख्या थी.
ऐसे में अगर भारत में अब एक लाख से सवा लाख मामले तक रोजाना आना शुरू हो जाते हैं यानि कि दूसरी लहर की सर्वोच्च संख्या के एक तिहाई केस रोजाना आते हैं तो कहा जा सकता है कि भारत में तीसरी लहर आ गई है. लेकिन अगर देश में दो-पांच हजार या 10-20 हजार मामले बढ़ते या घटते हैं तो ये नहीं कहा जा सकता कि तीसरी लहर आ गई. अभी दूसरी लहर ही है.
इस वजह से घट-बढ़ रहे मामले
डॉ. मिश्र कहते हैं कि देश में कोरोना के मामलों में रोजाना जो तब्दीली आ रही है उसके पीछे नई लहर न होकर कुछ और वजहें हो सकती हैं. जैसे कि जांचों की संख्या बढ़ना, कोरोना मरीजों के बढ़ते संपर्क के चलते लोगों के पॉजिटिव होना या जिन राज्यों में पहले से कोरोना के मामले ज्यादा हैं जैसे दक्षिणी राज्य, महाराष्ट्र या पूर्वोत्तर के राज्यों में तो वहां अभी भी कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं. वहीं कोरोना के वेरिएंट में बदलाव भी इसका कारण हो सकता है.
एक भी कोरोना केस न हो तो भी सावधानी बरतें लोग
एम्स पूर्व निदेशक कहते हैं कि अभी कोरोना की तीसरी लहर नहीं आई है, दूसरी ही चल रही है. इसके अलावा कुछ राज्यों में ही कोरोना के मामले सबसे ज्यादा हैं लेकिन भारत के बाकी हिस्सों में कम हो चुके हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि सभी सुरक्षित हैं. यह खतरा कभी भी सर पर आ सकता है. इसलिए अगर आसपास एक भी कोरोना का केस नहीं है तब भी लोगों को चाहिए कि वे कोविड अनुरूप व्यवहार को बनाए रखें, मास्क लगाएं, सोशल डिस्टेंसिंग रखें, सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होने से बचें. बच्चों को जागरुक करें और बाहर जाने से अभी रोकें.
डॉ. मिश्र कहते हैं कि सिर्फ सरकार के भरोसे रहकर सुरक्षित नहीं हुआ जा सकता. यह याद रखना जरूरी है कि विदेशों में भी सरकारों ने इंतजार किए लेकिन वहां भी दिक्कतें हुईं ऐसे में सिर्फ इंतजाम के भरोसे न रहें साल 2020 में जो कोविड नियम अपनाए थे और जो उपाय किए थे उन्हें करते रहें. सुरक्षित रहें.