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अमेरिका के जाने के बाद अफगानिस्तान का क्या होगा, नागरिकों की सुरक्षा कर पाएगा तालिबान

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अमेरिका का अफगानिस्तान छोड़ने से एक दिन पहले काबुल एयरपोर्ट को निशाना बनाकर रॉकेट दागे गए. एक जलती हुई गाड़ी की तस्वीरें भी सामने आई हैं. इससे पहले भी काबुल एयरपोर्ट पर बम धमाके हुए हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या तालिबान अमेरिका के जाने के बाद अफगानिस्तान को सुरक्षित रख पाएगा? क्योंकि अमेरिकी सैनिक तो एक जगह पर सीमित हैं, पूरे अफगानिस्तान में तालिबान के लड़ाकू मौजूद हैं. लड़ाकुओं की मौजूदगी के बावजूद लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं. ऐसे में फिर यही कहा जा रहा है कि कहीं तालिबान का इन हमलों के पीछे हाथ तो नहीं है. हालांकि इस बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता है क्योंकि इनके अपने पुराने रिश्ते रहे हैं.

ऐसी भी नहीं कहा जा सकता है कि 31 अगस्त को अमेरिका के जाने के बाद अफगान नागरिकों की सुरक्षा के लिए तालिबान किसी तरह का कोई सुरक्षा कवच तैयार करेगा. विशेषज्ञों का यही मानना है कि अमेरिका के जाने के बाद भी अफगानिस्तान में हमलों की खबर आती रहेगी. अब चाहें इन हमलों के पीछे खुद तालिबान का कोई गुट हो या कोई दूसरा आतंकी संगठन. जब अमेरिकी की मौजूदगी में इस तरह के हमले हो सकते हैं तो आने वाला समय तो अफगान नागरिकों के लिए मुश्किल भरा होने वाला है.

अफगानिस्तान में सुरक्षा व्यवस्था बनाने के लिए तालिबान को अंतरराष्ट्रीय फोर्स की जरूरत चाहिए ही होगी. तालिबान अकेले दम पर सुरक्षा व्यवस्था नहीं कर सकता. क्योंकि उसके इतने आतंकी संगठनों के साथ लिंक है कि अगर वह उन्हें नियंत्रित करने की कोशिश करता है तो दूसरा हाबी हो जाएगा. आगे ये बहुत खतरनाक होने वाला है.

अमेरिका की डेडलाइन में अब सिर्फ एक दिन बचा
तालिबान ने अमेरिका को अल्टीमेटम दे दिया है. तालिबान ने कहा कि कल के बाद अमेरिका ऐसा कुछ नहीं कर पाएगा. कल यानी 31 अगस्त को अमेरिकी सेना को अफगानिस्तान से लौटना है. यानी कल के बाद अमेरिकी सेना समझौते के तहत अफगानिस्तान में नहीं रह सकती. कल खत्म हो रही डेडलाइन के साथ अमेरिका का रेस्क्यू ऑपरेशन भी खत्म हो जाएगा. लेकिन अब भी अफगानिस्तान में अमेरिका के 300 लोग फंसे हैं. जबकि सूत्रों के मुताबिक भारत के 15 से 20 नागरिक इस वक्त अफगानिस्तान में फंसे हैं.

दुनिया के 100 देशों ने बयान जारी कर तालिबान से कहा है कि विदेशी नागरिकों और अफगान नागरिकों को 31 अगस्त के बाद भी अफगानिस्तान छोड़ने की इजाज़त दी जाए. बड़ा सवाल यही है कि, आखिर 31 अगस्त की डेडलाइन के बाद अफगानिस्तान के लोगों का क्या होगा, अफगानिस्तान की तस्वीर क्या होगी.