कोराना वायरस (Covid-19) की पहचान करीब दो साल पहले चीन में हुई थी, लेकिन तब से लेकर अब तक इस बेहद खतरनाक वायरस को मात देने के लिए कोई खास कारगार दवा सामने नहीं आई है. दूसरी बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां ही कोरोना संक्रमित मरीजों को दी जाती हैं. हालांकि अब कोरोना से लड़ने के लिए दवाइयों के मोर्चे पर अच्छी खबर सामने आ रही है. भारत में इस वक्त करीब 20 दवाओं का ट्रायल किया जा रहा है. इनमें से कुछ को जल्द ही हरी झंडी मिल सकती है.
हालांकि कोरोना संक्रमण की गिरती संख्या को देखकर ऐसा लग रहा है कि इन दवाओं कि डिमांड फिलहाल थोड़ी कम होगी, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले दिनों में ये दवाएं कोरोना की लहर को रोकेगी, साथ ही ऐसे लोगों के लिए रामबाण साबित होगी जिनकी इम्यूनिटी थोड़ी कम है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की लड़ाई में दवाएं बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. उनका तर्क है कि कोविड-19 टीके केवल लोगों को इम्यूनिटी देगी, लेकिन ये वायरस कई लोगों की जान ले सकता है. ऐसे में दवा से काफी फायदा होगा.
वैक्सीन होने पर दवा की जरूरत क्यों?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि कुछ लोग वैक्सीन लेने के बावजूद प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न ( Immune Response) करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं. या फिर ऐसे लोग जिन्हें वैक्सीन लने की सलाह नहीं दी जाती है, उन पर वायरस के संक्रमण का खतरा लगातार बना रहता है. विशेषज्ञों का मानना है कि 100% आबादी को टीकों के साथ कवर करना बेहद असंभव है और ऐसे में कोरोना वायरस का इलाज ढूंढ़ना बहुत अहम है. उदाहरण के लिए चेचक को दशकों पहले खत्म कर दिया गया था. इसके लिए साल 2020 में Tecorivimat नाम की दवा को अमेरिका ने मंजूरी दी थी, जबकि कई वर्षों से चेचक का कोई मामला सामने नहीं आया था.
कौन-कौन सी दवा का चल रहा है ट्रायल
मोलनुपिरवीर: अमेरिकी फार्मा दिग्गज मर्क एंड रिजबैक बायोथेरेप्यूटिक्स की ओरल एंटीवायरल दवा मोलनुपिरवीर ने कोरोना के खिलाफ अब तक अच्छा काम किया है. इस दवा को लेने वाले 50% लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी है. साथ ही इस दवा के इस्तेमाल से मौत की दर में भी 50% तक की कमी देखी गई है. भारत में इस दवा का ट्रायल सिप्ला, डॉक्टर रेड्डीज लैबोरेट्रीज, सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज और टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स के जरिए किया जा रहा है.