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योगी सरकार ने गठित किया जांच आयोग, आज लखीमपुर जाएंगे सतीश चंद्र मिश्रा..

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बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा आज लखीमपुर जाएंगे और पीड़ित परिजनों से मुलाकात करेंगे.यूपी सरकार ने लखीमपुर खीरी जिले में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा की जांच के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश प्रदीप कुमार श्रीवास्तव नियुक्त किया है. आयोग को इस पर रिपोर्ट देने के लिए दो महीने का समय दिया गया है.लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए बुधवार को अनेक वकीलों ने जिला अदालत परिसर से कलेक्ट्रेट तक रैली निकाली. अधिवक्ता संघर्ष समिति के बैनर तले वकीलों ने केंद्र और राज्य की सरकारों के प्रतीक पुतले जलाए. उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और मांग की कि राज्य मंत्री (गृह) अजय कुमार मिश्रा के खिलाफ तीन अक्टूबर की घटना के संबंध में मामला दर्ज किया जाए.
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा समेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को भड़की हिंसा में मारे गए लोगों के परिजन से बुधवार रात यहां मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल पहले पलिया तहसील पहुंचा और उसने मारे गए चार किसानों में से एक किसान लवप्रीत सिंह के परिवार से मुलाकात की.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय द्वारा लखीमपुर खीरी हिंसा मामले का स्वत: संज्ञान लिए जाने के बाद प्रधान न्यायाधीश को बुधवार को धन्यवाद दिया और कहा कि भारत की अदालतें न्याय का मंदिर हैं जो बेजुबान लोगों का विश्वास बहाल कर सकती हैं.
सोनभद्र पुलिस ने झारखंड सीमा पर स्वास्थ्य मंत्री, कृषि मंत्री, कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और आधा दर्जन विधायकों को लखीमपुर खीरी जाने से रोक दिया है. अधिकारियों ने कहा कि नेताओं ने सीमा पर हंगामा किया, जिससे सोनभद्र और झारखंड के दोनों ओर दो किलोमीटर से अधिक का ट्रैफिक जाम हो गया. अधिकारियों ने कहा कि ट्रैफिक जाम लगभग 2 बजे शुरू हुआ.

लखीमपुर खीरी में हुई घटना के बाद से उत्तर प्रदेश में सियासी घमासान मचा हुआ है और विपक्षी दलों ने राज्य की भाजपा सरकार पर दोषियों को बचाने का आरोप लगाया है. उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के लखीमपुर दौरे से पहले किसानों के प्रदर्शन के दौरान तीन अक्टूबर को भड़की हिंसा में आठ लोग मारे गए थे. आरोप है कि घटना में एक एसयूवी ने चार किसानों को कुचल दिया जो तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. बाद में गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक को पीट-पीटकर मार डाला जबकि हिंसा के दौरान एक स्थानीय पत्रकार की भी जान चली गई.

दो वकीलों ने उच्चतम न्यायालय को पत्र लिखकर शीर्ष अदालत की निगरानी में इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने का अनुरोध किया था. वकीलों ने पत्र को जनहित याचिका के तौर पर लेने का भी अनुरोध किया था.